शेर-और-छींकता-हुआ-हाथी---Lion-and-The-Sneezing-Elephant

शेर और छींकता हुआ हाथी – Lion and The Sneezing Elephant

जानवरों की कहानियाँ

शेर और छींकता हुआ हाथी

जंगल के बीचोंबीच एक शांत और हरा-भरा इलाका था जहाँ तरह-तरह के जानवर रहते थे। वहाँ का राजा था शेर भीम, जिसे सभी जानवर बहुत मान देते थे। शेर भीम न सिर्फ ताकतवर था बल्कि बहुत समझदार भी था। उसी जंगल में एक बड़ा और प्यारा हाथी गजानन भी रहता था, जिसकी आदतें थोड़ी अलग थीं। वह बहुत अच्छा था, लेकिन एक परेशानी हमेशा उसके साथ रहती थी। उसे बहुत ज्यादा छींकें आती थीं। इतनी कि कभी-कभी पूरा जंगल गूँज उठता था।

गजानन की छींकें इतनी तेज थीं कि जब वह एक बार छींकता, तो आसपास की डालियाँ हिल जातीं, पत्ते गिरने लगते और छोटे जानवर डर कर इधर-उधर भाग जाते। सभी जानवर उसे प्यार करते थे, लेकिन उसकी छींकें सबको परेशान भी कर देती थीं। कई बार तो उसकी छींक के कारण किसी का घर टूट जाता, किसी के खाने का ढेर उड़ जाता और किसी का खेल बिगड़ जाता।

एक दिन सुबह-सुबह जंगल में सूरज की हल्की किरणें फैल रही थीं। हवा में ठंडक थी। गजानन पेड़ के नीचे खड़ा था। उसे अपनी सूंड में कुछ अटका हुआ सा लगा। उसने सोचा कि वह धीरे से सूँघ लेगा, लेकिन जैसे ही उसने साँस अंदर खींची, उसे तेज गुदगुदी हुई और फिर उसने एक जोरदार छींक मारी। इतनी जोरदार कि पास में बैठे खरगोश चीकू का घर उड़कर दूर जा गिरा। चीकू घबरा गया और बोला,
“गजानन भैया, आपने फिर से मेरा घर गिरा दिया!”

गजानन बेहद शर्मिंदा हुआ और बोला,
“माफ करना चीकू। मैं जानबूझकर नहीं करता। मुझे रोक ही नहीं पाता।”

धीरे-धीरे यह बात पूरे जंगल में फैल गई। सब जानवर सोचने लगे कि गजानन की छींकें रुकवाए बिना जंगल में शांति संभव नहीं है। इसलिए सबने जंगल के राजा शेर भीम से मिलने का फैसला किया।

जब सब जानवर शेर भीम की गुफा के बाहर इकट्ठा हुए, तो भीम बाहर आकर बोला,
“क्या बात है? आप सब इस तरह क्यों इकट्ठा हुए हो?”

तोता मंटू आगे आया और बोला,
“महाराज, हाथी गजानन की छींकें पूरे जंगल को हिला देती हैं। हमें डर लगने लगा है। हमें कुछ कीजिए।”

शेर भीम ने गंभीरता से सुना और कहा,
“गजानन हमारा मित्र है। हमें उसकी मदद करनी चाहिए। मैं खुद उससे बात करूंगा।”

अगले दिन शेर भीम गजानन के पास गया। उसने उसे देखा कि वह सूंड पकड़े बेचारा परेशान खड़ा है।
“गजानन, तुम्हें क्या दिक्कत है?” शेर ने पूछा।

गजानन ने उदास होकर जवाब दिया,
“भीम भाई, मुझे खुद नहीं पता। बस मेरी सूंड में गुदगुदी होती रहती है और छींकें रुकती ही नहीं।”

शेर भीम ने उसकी ओर देखा और समझदारी से मुस्कुराया।
“तुम्हें मदद की जरूरत है। क्या तुम चाहोगे कि हम जंगल के वैद्य हिरण वसु के पास चलें?”

गजानन ने तुरन्त सिर हिलाया।
“हाँ, मैं अपने दोस्तों को परेशानी नहीं देना चाहता।”

दोनों वैद्य वसु के पास पहुँचे। वसु बहुत बुद्धिमान और अनुभव वाला हिरण डॉक्टर था। उसने गजानन को ध्यान से देखा और कहा,
“तुम्हारी छींकें किसी एलर्जी के कारण भी हो सकती हैं। मुझे यह पता लगाना होगा कि तुम्हें किससे परेशानी हो रही है.”

वसु ने कई पेड़ों, फूलों और घास की जाँच की। उसने पूछा,
“क्या तुम किसी खास जगह जाने पर ज्यादा छींकते हो?”

गजानन ने याद किया, फिर बोला,
“हाँ, जब भी मैं पुराने बरगद के पेड़ के पास जाता हूँ, मेरी सूंड और ज्यादा गुदगुदी करने लगती है।”

वसु ने तुरंत समझ लिया।
“शायद तुम्हें बरगद के परागकणों से एलर्जी है। इन दिनों उस पेड़ में फूल भी आए हुए हैं। इसलिए तुम्हारी छींकें बढ़ रही हैं।”

शेर भीम ने राहत की साँस ली।
“तो इसका इलाज क्या है?”

वसु ने कहा,
“गजानन को कुछ दिनों तक उस पेड़ से दूर रहना होगा। साथ ही मैं उसे कुछ जड़ी-बूटियाँ दूँगा जो सूंड की गुदगुदी कम करेंगी।”

गजानन ने खुशी से सिर हिलाया।
“मैं जो भी कहोगे, करूँगा। मुझे अपनी छींकें रोकनी हैं।”

अगले कुछ दिनों में वसु ने गजानन को खास काढ़ा दिया। गजानन कभी स्वाद से मुँह बनाता, लेकिन फिर भी पी लेता। धीरे-धीरे उसकी छींकें कम होने लगीं। अब वे तेज और अचानक आने वाली छींकें बिल्कुल गायब हो गईं।

जंगल के सभी जानवर बहुत खुश हुए।
खरगोश चीकू ने खुशी से कहा,
“अब मेरा घर सुरक्षित है।”

तोता मंटू बोला,
“अब हमें डर नहीं लगेगा।”

गजानन ने मुस्कुराते हुए सबको कहा,
“मैं आपका आभारी हूँ। आपकी वजह से मुझे मेरी समस्या का पता चला और मैं ठीक हो सका।”

शेर भीम ने जंगल की सभा बुलाई और कहा,
“इस घटना से हमें यह सीख मिली कि जब हमारे किसी दोस्त को परेशानी हो, तो हमें मिलकर उसकी मदद करनी चाहिए, न कि उससे दूर रहना चाहिए।”

सभी जानवरों ने सहमति जताई।
जंगल में फिर से शांति लौट आई।

जंगल में शेर और हाथी की नई दोस्ती की चर्चा हर तरफ होने लगी। सभी जानवरों को यकीन नहीं हो रहा था कि इतना बड़ा गलतफहमी वाला झगड़ा इतनी सरलता से खत्म हो गया। लेकिन असली सफर तो अब शुरू होने वाला था।

एक सुबह जंगल में अजीब सी गंध फैल गई। हवा में धुएँ जैसा कुछ था, जिसकी वजह से छोटे जानवरों को खाँसी और गले में जलन होने लगी। बंदर सबसे पहले एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ा और दूर से देखा कि जंगल के दूसरी तरफ एक छोटा सा आग का धुआँ उठ रहा है। वह घबराकर नीचे आया और दौड़कर शेर के पास पहुँचा।

बंदर हाँफते हुए बोला, ‘‘महाराज, जंगल के किनारे आग लगी है। अगर हवा तेज हुई तो वो फैल जाएगी।’’

शेर ने तुरंत सभा बुलाई। सभी जानवर पहुँचे, लेकिन हाथी नहीं आया। शेर ने पूछा, ‘‘हाथी कहाँ है? ये समय सबको एक साथ रहने का है।’’

थोड़ी देर बाद खरगोश आया और बोला, ‘‘महाराज, हाथी बीमार है। शायद कल की ठंडी हवा ने उसके ज़ुकाम को और बढ़ा दिया है।’’

शेर को चिंता हुई। उसने कहा, ‘‘अगर हाथी की हालत खराब है, तो हम उसे अकेला नहीं छोड़ सकते। और अगर जंगल को बचाना है, तो हमें सबकी ताकत चाहिए।’’

शेर और कुछ जानवर हाथी के पास पहुँचे। हाथी की सूँड लाल हो चुकी थी और वह लगातार छींक रहा था। हर छींक इतनी तेज कि उसके आसपास की धूल उड़ जाती।

शेर ने प्यार से कहा, ‘‘मित्र, तुम्हारी हालत ठीक नहीं है।’’

हाथी बोला, ‘‘मैं ठीक हूँ। मैं बस अभी चलने के लायक नहीं हूँ। छींक के कारण balance नहीं बन रहा।’’

शेर ने फैसला किया, ‘‘जंगल को बचाने के लिए हमें दो टीमें बनानी होंगी। एक आग बुझाएगी, दूसरी तुम्हारी देखभाल करेगी। तुम जंगल का सबसे मजबूत हिस्सा हो। अगर तुम ठीक हो जाओगे, तो हम सभी और ताकतवर महसूस करेंगे।’’

यह बात सुनकर हाथी ने हल्की मुस्कान दी। उसे पहली बार महसूस हुआ कि जंगल में सब उसे सच में परिवार की तरह मानते हैं।

उधर आग बढ़ने लगी थी। हवा तेज होती जा रही थी। शेर ने अपनी टीम के साथ आग की ओर दौड़ लगाई। दूसरी तरफ हिरन, खरगोश और कुछ पक्षियों ने हाथी की देखभाल शुरू की। वे उसके लिए ठंडा पानी, पत्तियों से बना काढ़ा और आरामदायक घास लेकर आए।

हाथी ने खरगोश से पूछा, ‘‘क्या ये सच में मदद करेगा?’’

खरगोश मुस्कराया और बोला, ‘‘कभी-कभी बड़ी बीमारियों को छोटे इलाज ही हरा देते हैं। बस तुम्हें आराम करना है।’’

उधर शेर और उसकी टीम आग बुझाने में जुटी थी। तोते तेजी से उड़कर बताते कि हवा किस तरफ जा रही है। भालू मिट्टी फेंककर आग रोक रहा था। हिरन पानी की तलाश में भाग-दौड़ कर रहे थे। ये पहली बार था जब जंगल के सभी जानवर एक साथ मिलकर काम कर रहे थे।

लेकिन आग बहुत तेज थी। बुझने का नाम नहीं ले रही थी। शेर चिंतित होने लगा। तभी उसने एक जोरदार आवाज सुनी, ‘‘रास्ता दीजिए, मैं आ रहा हूँ।’’

ये हाथी था।

अब उसकी छींकें पहले जैसी तेज नहीं थीं। वह थोड़ा संभल चुका था। उसने आकर शेर से कहा, ‘‘तुमने मेरी मदद की। अब मुझे अपना कर्ज चुकाना है।’’

शेर ने कहा, ‘‘लेकिन तुम अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुए।’’

हाथी बोला, ‘‘जंगल मेरा घर है। घर बचाने के लिए थोड़ा सा दर्द कुछ नहीं।’’

हाथी ने अपनी बड़ी सूँड में पास की नदी से खूब पानी भरा और आग पर छोड़ा। पहली बार आग की लपटें पीछे हटने लगीं। सभी जानवरों को उम्मीद की किरण दिखी। हाथी ने कई बार ऐसा किया, और धीरे-धीरे आग पूरी तरह बुझने लगी।

आखिरकार आग बुझ गई। जंगल ने राहत की साँस ली। सारे जानवर खुश होकर एक-दूसरे को गले लगाने लगे। शेर ने हाथी से कहा, ‘‘आज तुमने साबित कर दिया कि ताकत सिर्फ शरीर में नहीं, दिल में भी होती है।’’

हाथी बोला, ‘‘और तुमने साबित किया कि एक नेता सिर्फ आदेश नहीं देता, साथ भी खड़ा होता है।’’

अब जंगल में सबकुछ सामान्य होने लगा। पेड़ फिर से साँस लेने लगे, पक्षी फिर से गाने लगे। और सबसे बड़ी बात, शेर और हाथी की दोस्ती जंगल में एक मिसाल बन गई।

कुछ दिन बाद, सभी जानवरों ने मिलकर एक छोटा सा समारोह रखा। इस समारोह में शेर और हाथी दोनों को सम्मानित किया गया। लेकिन दोनों ने एक साथ कहा, ‘‘जंगल को हमने नहीं बचाया। जंगल को हम सबने मिलकर बचाया है।’’

और फिर हाथी ने हँसते हुए कहा, ‘‘अब अगर मुझे फिर से छींक आई, तो मैं पहले ही सबको बता दूँगा ताकि कोई गलतफहमी न हो।’’

सभी जानवर हँस पड़े। जंगल एक बार फिर सुरक्षित और खुशहाल हो गया। इस पूरे अनुभव ने सबको सीख दी कि गलतफहमियाँ दूर की जा सकती हैं, बीमारी छोटी भी हो सकती है, लेकिन एकता सबसे बड़ा सहारा है।

और इस तरह शेर और छींकता हुआ हाथी की कहानी जंगल की सबसे पसंदीदा कहानी बन गई, जिसे बड़े प्यार से हर नई पीढ़ी सुनकर बड़ी होती रही।

गजानन फिर से मजे से सबके साथ खेलने लगा, लेकिन वह अब बरगद के पेड़ से थोड़ा दूर रहता था।
वैद्य वसु भी खुश था कि उसकी दवाई और सलाह से जंगल का सबसे बड़ा हाथी अच्छी तरह ठीक हो गया।

धीरे-धीरे समय बीतता गया।
लेकिन इस घटना ने जंगल के सभी जानवरों को एक बात समझा दी कि समस्या चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न लगे, अगर हम मिलकर सोचें और सही रास्ता अपनाएँ, तो उसका समाधान हमेशा मिल जाता है।

और इस तरह जंगल में फिर से हँसी, दोस्ती और शांति लौट आई।

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