चालाक कौआ और लोमड़ी | (The Clever Crow and the Fox)

चालाक कौआ और लोमड़ी | (The Clever Crow and the Fox)

जानवरों की कहानियाँ

चालाक कौआ और लोमड़ी

गर्मियों का मौसम था। सूरज आसमान में आग उगल रहा था। पेड़ों की छाँव में भी गर्म हवा चल रही थी। जंगल में हर तरफ सन्नाटा था। छोटे-बड़े जानवर सब अपने बिलों और घरों में दुबके हुए थे। ऐसे में एक कौआ आसमान में उड़ता हुआ बहुत प्यासा हो गया। उसकी चोंच सूख चुकी थी और गला जैसे रेत निगल रहा हो।

कौए ने आसमान से चारों ओर नज़र दौड़ाई। न कोई नदी, न तालाब, न कोई पोखर दिखा। बस सूखी ज़मीन और झुलसे हुए पेड़। उसकी उड़ान अब भारी होने लगी। उसने सोचा, “अगर जल्दी पानी नहीं मिला, तो मैं शायद ज़्यादा देर नहीं टिक पाऊँगा।”

काफ़ी देर बाद उसे दूर से एक घड़ा दिखाई दिया — पुराना मिट्टी का घड़ा, जो एक बड़े नीम के पेड़ के नीचे रखा था। कौए की आँखों में चमक आ गई। वह फटाफट नीचे उतरा और घड़े के पास जा बैठा। लेकिन जब उसने अंदर झाँका, तो देखा कि घड़े में पानी बहुत नीचे था। उसने अपनी चोंच डाली, पर वह पानी तक नहीं पहुँच सका।

“अरे बाप रे! अब क्या करूँ?” कौआ बोला।

उसी वक्त झाड़ियों के पीछे से एक लोमड़ी निकलकर आई। वह भूखी थी और कौए को देखकर बोली,
“कौए भाई, क्या कर रहे हो यहाँ इस गर्मी में?”

कौआ बोला, “बहन, बहुत प्यास लगी है, लेकिन यह घड़ा मेरा मज़ाक उड़ा रहा है। पानी है तो सही, पर इतना नीचे कि पहुँच ही नहीं पा रहा।”

लोमड़ी ने चालाकी से मुस्कराते हुए कहा, “तो फिर इसे गिरा दो ना! सारा पानी बाहर आ जाएगा, और तुम आसानी से पी लोगे।”

कौए ने एक पल सोचा। विचार बुरा नहीं था, लेकिन वह बोला,
“अगर मैं घड़ा गिरा दूँगा, तो सारा पानी ज़मीन में समा जाएगा। फिर मेरे हिस्से में कुछ नहीं बचेगा।”

लोमड़ी ने नाक सिकोड़कर कहा, “तो फिर मरो प्यासे बैठे रहो!” और हँसते हुए चली गई।

कौआ उदास होकर घड़े के पास बैठ गया। उसे अपनी माँ की बात याद आई —

“मुसीबत में दिमाग का इस्तेमाल करने वाला ही असली विजेता होता है।”

वह सोचने लगा, “अगर पानी नीचे है, तो मुझे उसे ऊपर लाना होगा। मगर कैसे?” तभी उसकी नज़र पास पड़ी छोटे-छोटे कंकड़ों पर। अचानक उसके दिमाग में एक विचार आया। उसने मुस्कराकर कहा, “मिल गया रास्ता!”

कौए ने एक-एक करके कंकड़ उठाने शुरू किए और घड़े में डालने लगा। हर कंकड़ डालने के साथ पानी थोड़ा-थोड़ा ऊपर उठने लगा। सूरज सिर पर था, गर्म हवा चल रही थी, फिर भी कौआ लगातार मेहनत करता रहा।

कुछ देर बाद पानी ऊपर तक पहुँच गया। कौए ने खुशी से अपनी चोंच डाली और जी भरकर पानी पी लिया। उसकी प्यास शांत हो गई। उसने पंख फैलाए और ठंडी हवा का आनंद लेते हुए ऊपर आसमान में उड़ चला।

उधर झाड़ियों के पीछे से लोमड़ी यह सब देख रही थी। उसकी आँखें फटी रह गईं।
वह बोली, “वाह! यह तो बहुत समझदार कौआ है। मैंने तो सोचा था, यह मेरे कहने में आ जाएगा, लेकिन इसने अपनी अक़्ल लगाई।”

कौए ने ऊपर से हँसते हुए कहा,
“लोमड़ी बहन, कभी किसी की मुसीबत का मज़ाक मत उड़ाना। समझदारी हमेशा ताकत से बड़ी होती है।”

इतना कहकर वह नीले आसमान में उड़ गया।

उस दिन के बाद से जंगल में जब भी कोई नया जानवर आता, लोमड़ी खुद यह कहानी सुनाती —
“अगर कोई मुसीबत में हो, तो हँसने की जगह मदद करो। क्योंकि जिसने अपनी समझदारी का इस्तेमाल किया, वही असली विजेता है।”

कहानी की सीख (Moral of the Story): मुसीबत में घबराने की बजाय, समझदारी और धैर्य से काम लेना चाहिए। बुद्धि हमेशा बल से बड़ी होती है।

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