जिराफ़-और-छोटा-खरगोश-–-The-Giraffe-and-the-Little-Rabbit

जिराफ़ और छोटा खरगोश – The Giraffe and the Little Rabbit

जानवरों की कहानियाँ

जिराफ़ और छोटा खरगोश

हरे मैदानों और ऊँचे पेड़ों से घिरे शांत जंगल में कई तरह के जानवर रहते थे। वहाँ सूरज की रोशनी पेड़ों की पत्तियों से छनकर जमीन पर गिरती और हवा में फूलों की महक घुली रहती थी। इसी जंगल में एक लंबा, सुडौल और ऊँची गर्दन वाला जिराफ़ भी रहता था। जिराफ़ अपनी ऊँचाई पर बहुत गर्व करता था। उसे लगता था कि उसकी पहुँच सबसे ज्यादा है, उसकी नजर सबसे दूर तक जाती है और उसकी ताकत भी बाकी जानवरों से अलग है। उसकी चाल में एक अलग ही तरह का घमंड दिखाई देता था, जैसे वह खुद को जंगल का सबसे समझदार और श्रेष्ठ जीव मानता हो।

उसी जंगल में एक छोटा, नरम फर वाला खरगोश भी रहता था। खरगोश बहुत तेज़, शांत और समझदार था। उसकी आँखें चमकीली थीं और उसके कान इतने संवेदनशील थे कि वह छोटी-से-छोटी आवाज़ भी सुन सकता था। वह हमेशा खुश रहता, उछलता-कूदता और जंगल के हर कोने की जानकारी रखता। उसकी छोटी कद-काठी कई बार बड़े जानवरों के लिए मज़ाक का कारण बन जाती, पर खरगोश कभी किसी से बहस नहीं करता था। वह मानता था कि सम्मान हर किसी को देना चाहिए।

एक दिन सुबह-सुबह जब जंगल में हल्की धूप फैली थी, खरगोश कुछ घास चबाते हुए मैदान की ओर जा रहा था। रास्ते में उसकी मुलाक़ात जिराफ़ से हो गई। जिराफ़ ने ऊपर से नीचे देखकर हँसते हुए कहा, “अरे छोटे, तू तो जमीन से चिपका हुआ लगता है। क्या तू इस जंगल में ठीक से देख भी पाता है? तेरे जैसी ऊँचाई होती तो तू भी दूर-दूर की चीजें देख पाता। इतने छोटे होने से तुझे डर नहीं लगता?”

खरगोश ने शांतिपूर्वक कहा, “छोटा होना कोई बुरी बात नहीं है। हर किसी की अपनी खासियत होती है।”

जिराफ़ ने और भी ज़ोर से हँसते हुए कहा, “खासियत? तेरी? तू तो हवा भी ऊपर से आती है, वह भी तुझे पहुँचने में समय लगाती होगी। चल, अच्छा है कि तू बहादुर बनकर जी रहा है।”

खरगोश बस मुस्कुरा दिया। उसने कोई बहस नहीं की। वह जानता था कि कुछ जानवर अपनी ताकत और कद के कारण खुद को दूसरों से ऊपर समझते हैं। लेकिन खरगोश का दिल साफ था। वह जानता था कि परिस्थितियाँ अक्सर बता देती हैं कि असल में किसकी समझ ज्यादा काम आती है।

जिराफ़ अपना मज़ाक खुद ही मज़ेदार मानकर आगे बढ़ गया। खरगोश अपने काम में लगा रहा। लेकिन उस दिन आसमान थोड़ा अलग लग रहा था। बादलों की चाल तेज़ थी और हवा में एक अजीब-सा डर था। जंगल के पुराने पेड़ों की पत्तियाँ असामान्य तरीके से कांप रही थीं। खरगोश ने अपने लंबे कानों से दूर से आने वाली गड़गड़ाहट सुनी। उसने ऊपर आकाश को देखा और समझ गया कि एक बड़ा तूफ़ान आने वाला है।

खरगोश ने तुरंत इधर-उधर देखना शुरू किया। उसे पता था कि ऐसे तूफ़ानों में ऊँचे पेड़ों के नीचे खड़े रहना खतरनाक होता है। कई बार बिजली गिरने का डर, कई बार तेज़ हवा से पेड़ गिरने का खतरा और कभी तेज़ धूल और मिट्टी में कुछ भी नहीं दिखता था। उसे एक ऐसा स्थान ढूंढना था जो जमीन के पास, चट्टानों के बीच, सुरक्षित और कम हवा वाला हो। उसकी तेज़ चाल ने उसे जंगल के उस हिस्से तक पहुँचा दिया जहाँ एक बड़ी चट्टान की आड़ में छोटी-सी सुरक्षित जगह थी। वहाँ हवा की तीव्रता कम थी और ऊपर से पेड़ों की शाखाएँ भी नहीं थीं। वह जानता था कि यह जगह तूफान में सुरक्षित रहेगी।

तूफ़ान के खतरे को देखते हुए वह बाकी जानवरों को सावधान करने के लिए वापस निकल पड़ा। उधर जिराफ़ अभी भी पेड़ों की ऊँची पत्तियाँ खाने में व्यस्त था। उसे हवा की ताकत का एहसास तो हो रहा था, लेकिन उसने इसे गंभीरता से नहीं लिया। उसे लगता था कि वह इतना लंबा और मजबूत है कि कोई भी तूफान उसे हिला नहीं सकता।

खरगोश ने तेज़ी से उछलते हुए जिराफ़ को आवाज़ दी, “जिराफ़ भाई, नीचे आओ। तूफ़ान बहुत तेज़ आने वाला है। यह जगह खतरनाक है। ऊँचे पेड़ों के नीचे मत खड़े रहो। मेरे साथ चलो, मैंने एक सुरक्षित जगह देखी है।”

जिराफ़ ने हँसते हुए कहा, “छोटे खरगोश, तू मुझे तूफ़ान से बचाएगा? मेरी ऊँचाई और ताकत तूने देखी नहीं? तू चिंता मत कर, तू जल्दी डर जाता होगा।”

खरगोश ने आग्रह किया, “मैं डर नहीं रहा, मैं सिर्फ सच बता रहा हूँ। हवा की आवाज़ सुनो। पेड़ झुक रहे हैं। जल्दी करना बेहतर होगा।”

लेकिन जिराफ़ ने उसकी बात नहीं मानी। उसे अपनी ऊँचाई पर पूरा भरोसा था। वह सोच भी नहीं सकता था कि कभी उसे किसी छोटे जानवर की मदद की ज़रूरत पड़ेगी।

कुछ ही मिनटों बाद आसमान काला होने लगा। हवा इतनी तेज़ हो गई कि पेड़ की शाखाएँ जोर-जोर से हिलने लगीं। बिजली बादलों में चमक रही थी। जंगल का माहौल पूरी तरह बदल गया था। पेड़ झुकने लगे और कई शाखाएँ टूटकर नीचे गिरने लगीं।

अब जिराफ़ को समझ आया कि तूफ़ान कितना भयानक है। उसकी ऊँची गर्दन हवा में बार-बार झूल रही थी। वह संभलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन तेज़ हवा उसकी चाल बिगाड़ रही थी। ऊपर की शाखाएँ गिरने लगीं। जिराफ़ ने डरते हुए नीचे झुकने की कोशिश की लेकिन उसकी भारी कद-काठी उसे दिक्कत दे रही थी।

तभी खरगोश को याद आया कि जिराफ़ अभी भी खतरे में है। वह तुरंत वापस उछलता हुआ वहाँ पहुँचा जहाँ जिराफ़ संघर्ष कर रहा था। उसने जोर से कहा, “जल्दी मेरे साथ चलो। तू यहाँ खड़ा रहा तो चोट लग जाएगी।”

इस बार जिराफ़ समझ चुका था कि हालत गंभीर हो चुकी है। वह तेजी से खरगोश के पीछे चला। खरगोश ने अपने छोटे कद का फायदा उठाकर हवा की दिशा का अंदाजा लगाया और उस रास्ते से जिराफ़ को ले गया जहाँ पेड़ों की संख्या कम थी। कुछ देर बाद वे उस बड़ी चट्टान के पास पहुँच गए जहाँ खरगोश ने सुरक्षित जगह ढूंढी थी। चट्टान हवा को रोक रही थी और ऊपर कोई पेड़ नहीं था जो गिर सके।

जिराफ़ भारी साँसें लेते हुए चट्टान के पास बैठ गया। वह डरा हुआ था लेकिन सुरक्षित था। खरगोश उसकी बगल में खड़ा होकर हवा की दिशा और आसमान को देख रहा था। कुछ देर में तूफ़ान अपने चरम पर पहुँच गया। तेज़ हवाओं ने जंगल को हिला दिया था, लेकिन चट्टान के पीछे वे सुरक्षित थे।

तूफ़ान थमने तक जिराफ़ ने समय बिताकर सोच लिया कि वह कितनी बड़ी गलती कर रहा था। उसने छोटे होने को कमजोरी समझा और अपनी ऊँचाई को ताकत। लेकिन आज उस छोटे खरगोश ने उसे बचाया था। उसकी समझदारी, उसकी परख और उसके शांत स्वभाव ने उन्हें सुरक्षित रखा था।

तूफ़ान के बाद आसमान साफ हुआ। सूरज की हल्की किरणें फिर चमकने लगीं। जिराफ़ खरगोश की ओर देख कर बोला, “मैंने तुझे हमेशा छोटा समझा। लेकिन आज तूने मुझे सिखाया कि किसी को छोटा मत समझो। असली बुद्धिमानी कद में नहीं, दिमाग में होती है। धन्यवाद, छोटे दोस्त।”

खरगोश मुस्कुराया और बोला, “मुझे पता था कि तू समझ जाएगा। हम सब अलग हैं लेकिन किसी की क्षमता कम नहीं होती। कभी-कभी छोटी सोच बड़े को भी संकट में डाल देती है।”

उस दिन के बाद जिराफ़ और खरगोश अच्छे साथी बन गए। जिराफ़ ने कभी किसी की कद-काठी का मज़ाक नहीं उड़ाया और खरगोश हमेशा उसकी मदद करने को तैयार रहता। दोनों जंगल में साथ घूमते, बातें करते और हर जानवर को बताते कि किसी की ऊँचाई नहीं, उसकी सोच उसे महान बनाती है।

शिक्षा: किसी को छोटा मत समझो।

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