उल्लू और चतुर बिलौटा
जंगल के एक शांत कोने में एक पुराना नीम का पेड़ था जहाँ एक बुद्धिमान उल्लू कई वर्षों से रहता था। उसका घोंसला पेड़ की सबसे ऊँची डाल पर था और वह अपने बच्चों के साथ आराम से रहता था। रात में वह उड़कर भोजन जुटा लाता और दिन में पेड़ की छाया में आराम करता। उसी पेड़ के नीचे कई चूहे अपनी छोटी-छोटी सुरंगों में रहते थे। शुरुआत में सब ठीक चलता रहा, लेकिन धीरे-धीरे चूहे इतने बढ़ गए कि वे पेड़ के आसपास का हिस्सा उजाड़ने लगे। वे घोंसले की ओर भी आने लगे जिससे उल्लू को चिंता होने लगी क्योंकि उसके बच्चे अब बड़े हो रहे थे और ज्यादा शोर या परेशानियाँ उन्हें डरा सकती थीं।
उल्लू ने कई बार चूहों को समझाया कि वे घोंसले के पास न आएं, लेकिन चूहे न तो उसकी बात मानते थे और न ही उसके पंख फड़फड़ाने से डरते थे। समय बीतता गया और हालात बिगड़ते गए। एक दिन चूहों ने घोंसले की नीचे की टहनी काटने की कोशिश की। उल्लू यह देखकर घबरा गया। उसे लगा कि अब सिर्फ डराने से काम नहीं चलेगा। उसे किसी की मदद चाहिए थी। लेकिन जंगल में कौन उसकी बात सुनेगा यह सोचना उसके लिए कठिन था।
उसी समय जंगल में एक चतुर बिलौटा आया था। वह आकार में छोटा था लेकिन उसकी आँखें बहुत तेज थीं, और उसका दिमाग भी तेज चलता था। वह किसी से बेवजह नहीं लड़ता था, बल्कि हर काम सोच-समझकर करता था। उसकी इसी समझदारी के कारण उसे जंगल में कई जानवर पसंद करते थे। लेकिन चूहे उसे देखकर हमेशा भाग जाते थे क्योंकि उनकी दुनिया में बिलौटा ही सबसे बड़ा खतरा माना जाता था।
उल्लू ने सोचा कि अगर किसी की जरूरत है तो वह यही बिलौटा है। लेकिन उसे यह भी डर था कि कहीं बिलौटा उसके बच्चों को भी परेशान न कर दे। काफी देर सोचने के बाद वह रात को बिलौटे से मिलने गया। उसने बिलौटे को नम्रता से आवाज दी और बोला कि उसे मदद की जरूरत है। बिलौटा चौंक गया कि एक उल्लू उससे मदद क्यों माँग रहा है। लेकिन उसने उल्लू की बात ध्यान से सुनी।
उल्लू ने बताया कि चूहे उसके घोंसले के लिए खतरा बन रहे हैं। वे न सिर्फ आसपास की टहनियाँ कुतर रहे हैं बल्कि घोंसले की जगह भी खराब करने लगे हैं। वह चाहता है कि चूहे यहाँ से दूर रहें ताकि उसके बच्चे सुरक्षित रह सकें। बिलौटे ने यह सब सुना और गंभीरता से सोचा। उसे लगा कि यह कोई साधारण समस्या नहीं है। अगर चूहे बढ़ते गए तो यह पेड़ और आसपास का हिस्सा भी खराब हो सकता है।
बिलौटे ने उल्लू से कहा कि वह उसकी मदद करेगा लेकिन वह किसी बच्चे को या घोंसले को हाथ नहीं लगाएगा। उल्लू यह सुनकर खुश हुआ और बोला कि उसे बिलौटे की समझदारी पर पूरा भरोसा है। बिलौटा बोला कि वह चूहों को डराकर भगाएगा लेकिन बिना किसी नुकसान के।
अगली सुबह बिलौटा पेड़ के पास गया और उसने चूहों के बिलों का निरीक्षण किया। वह समझ गया कि चूहे यहाँ इतने आराम से इसलिए रह रहे हैं क्योंकि आसपास कोई खतरा नहीं है। उन्होंने जंगल के इस हिस्से को अपना क्षेत्र मान लिया है। बिलौटे ने तय किया कि वह उन्हें बिना छुए ऐसा डर दिखाएगा कि वे दोबारा न लौटें।
इसके बाद बिलौटा चूहों की तरफ बढ़ा। पहले तो चूहों ने उसे देखा और दूर भाग गए। लेकिन बिलौटा धीरे-धीरे उनके पीछे गया और उनके बिलों के पास गहरी खरोंचें बनाईं। उसने वहाँ अपनी तेज गंध छोड़ी जो चूहों के लिए सबसे बड़ा खतरा मानी जाती थी। उसने पेड़ के चारों ओर घूमकर अपनी मौजूदगी हर तरफ दर्ज करा दी।
चूहे जब रात को बाहर निकले तो उन्हें चारों तरफ बिलौटे की गंध महसूस हुई। वे घबरा गए। किसी ने भी हिम्मत करके बाहर कदम नहीं रखा। कुछ चूहे बाहर निकले भी तो बिलौटे की छाया देखकर वापस लौट गए। उन्हें समझ आ गया कि अब इस पेड़ पर रहना सुरक्षित नहीं है।
शिक्षा: समझदारी सही साथी चुनने में है।