गुलाबों का महल
एक शांत और सुंदर राज्य के किनारे एक घना जंगल था, जिसे लोग बहुत कम जानते थे। उसी जंगल के बीचोंबीच एक पुराना महल छिपा हुआ था, जिसे दूर से देखने पर लगता था जैसे वह धुंध और रहस्य में लिपटा बैठा हो। कहते थे कि वहाँ कोई रहता नहीं, फिर भी रात के समय कभी-कभी धीमी चमक दिखाई देती थी। राजकुमारी सान्वी को बचपन से ही कहानियों और रहस्यों में रुचि थी, इसलिए उस महल के बारे में सुनकर उसके मन में एक अजीब खिंचाव पैदा हुआ। उसे लगता था कि इस जगह में जरूर कोई अनकही बात छिपी है।
एक दिन सवेरे वह अपने घोड़े पर सवार होकर जंगल की ओर निकल पड़ी। हवा में फूलों की हल्की खुशबू थी, और पेड़ों के झुरमुटों के बीच पत्तियों से छनकर आती धूप रास्ते को चमका रही थी। जैसे-जैसे वह आगे बढ़ती गई, जंगल शांत होने लगा और हवा में एक अलग तरह की मिठास घुलने लगी। कुछ दूर पहुंचकर उसने देखा कि लताओं से ढका हुआ एक विशाल महल खड़ा है। यह वैसा ही था जैसा उसने सुना था, पर यह उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत नजर आ रहा था। महल की दीवारों पर असंख्य गुलाब खिले थे, लाल, सफेद, गुलाबी और नीले भी। लेकिन इन गुलाबों में सबसे खास बात यह थी कि उनसे धीरे-धीरे आती फुसफुसाहटें सुनाई दे रही थीं।
सान्वी ने आश्चर्य से कान लगाए, और उसकी सांसें थम गईं। गुलाब सच में बातें कर रहे थे। वे एक-दूसरे से कुछ कह रहे थे, मानो किसी छुपे रहस्य को बार-बार दोहरा रहे हों। उसने महल का फाटक खोला और अंदर कदम रखा। जमीन पर बिछी पंखुड़ियों ने उसके कदमों का स्वागत किया। महल के भीतर भी हर तरफ गुलाब ही गुलाब थे, लेकिन उनके चेहरे एक हल्की चमक लिए हुए दिखाई देते थे। जैसे उनमें कोई आत्मा बसी हो।
एक लाल गुलाब ने फुसफुसाकर पूछा, “तुम कौन हो?” सान्वी चौंक गई लेकिन घबराई नहीं। उसने शांत होकर कहा, “मैं इस राज्य की राजकुमारी सान्वी हूँ। मैं इस महल और तुम सबके बारे में जानना चाहती हूँ।” गुलाबों ने एक-दूसरे को देखा और थोड़ी देर चुप रहने के बाद धीरे-धीरे बोलना शुरू किया। उनकी आवाजें किसी घंटी की तरह मधुर थीं, पर दुख से भरी हुई भी।
एक सफेद गुलाब बोला, “हम कभी इंसान थे। हम इस महल की रक्षक सेना थे। यहाँ एक पुरानी रानी रहती थीं, जिनका दिल सोने जैसा था। लेकिन एक दिन एक क्रूर जादूगर ने इस महल पर हमला किया और इस जगह को श्राप दे दिया। रानी ने अपने लोगों को बचाने के लिए अंतिम प्रयास किया और अपने सेनापतियों को गुलाब में बदल दिया ताकि वे हमेशा इस महल की रक्षा कर सकें। लेकिन इसके बदले उन्हें हमेशा के लिए जीवित रहकर इसी रूप में कैद रहना पड़ा।”
सान्वी ने ध्यान से उनकी बात सुनी। उसे समझ आया कि यह महल क्यों जीवित महसूस होता है और गुलाब इतने अनोखे, चमकीले, और सजीव क्यों लगते हैं। गुलाबों ने बताया कि श्राप तब तक नहीं टूटेगा जब तक कोई सच्चे मन से यह वादा न कर दे कि वह इस महल को अपना समझकर इसकी रक्षा करेगा और यहाँ कभी कोई लालच या स्वार्थ नहीं लाएगा।
सान्वी ने महल के बीचोंबीच खड़े होकर कहा, “मैं वादा करती हूँ कि मैं इस महल की रक्षा करूँगी। इसे अपनी जिम्मेदारी समझूँगी और यहाँ कभी कोई लालच नहीं आने दूँगी।” जैसे ही उसने यह कहा, महल में हल्का कंपन हुआ और गुलाबों पर जमी धूल चमकने लगी।
गुलाबों ने एक साथ कहा, “तुम्हारे वादे ने हमारे दर्द को हल्का किया है। श्राप भले टूटे नहीं, पर अब हमें शांति मिलती है। हम अकेले नहीं महसूस करेंगे।” सान्वी ने महसूस किया कि गुलाबों की आवाज पहले से ज्यादा कोमल हो गई है। महल में भी एक नई रोशनी फैल गई, जिसमे उम्मीद की चमक थी।
शिक्षा: सुंदरता और रहस्य तब अर्थपूर्ण बनते हैं जब हम उन्हें समझने और संजोने का मन रखते हैं।