नन्ही-तितली-परी---Tiny-Butterfly-Fairy

नन्ही तितली परी – Tiny Butterfly Fairy

परी कथाएँ

नन्ही तितली परी

नीले पहाड़ों के पीछे एक शांत और रंगों से भरी घाटी थी, जिसे लोग रूपनगर कहते थे। यहाँ हर सुबह सूरज की किरणें ऐसे गिरती थीं जैसे सोने की हल्की बारिश हो रही हो। इस घाटी में फूल सिर्फ फूल नहीं थे, वे हवा के साथ गुनगुनाते थे। पत्तों में हल्की चमक रहती थी, और छोटे-छोटे जीव मानो अपने अंदर कोई रहस्य छुपाए हुए घूमते रहते थे। इन्हीं जीवों में से एक थी एक नन्ही तितली परी जिसका नाम था नीलू। नीलू बहुत सुंदर थी, उसकी आँखों में हल्की चमक और आवाज में मिठास थी, लेकिन उसके पंख अभी तक चमकते नहीं थे। बाकी परी तितलियों के पंख आसमान जैसे नीले, सूर्य जैसे सुनहरे और इंद्रधनुष की तरह चमकीले थे, लेकिन नीलू के पंख बहुत हल्के और फीके थे। उसे लगता था कि वह बाकी सब से अलग है और उड़ नहीं सकती।

हर दिन नीलू फूलों के पास बैठकर उड़ती तितली परियों को देखती और सोचती कि काश वह भी हवा में ऐसे ही तैर पाती। जब भी वह अपने पंख फड़फड़ाकर उड़ने की कोशिश करती, वह कुछ कदम ऊपर उठती और तुरंत नीचे आ जाती। बाकी परियाँ उसे प्यार से कहती थीं कि समय आने पर सब हो जाता है, लेकिन नीलू को लगता था कि उसके भीतर कुछ कमी है। एक दिन वह दुखी होकर घाटी के सबसे पुराने पेड़ के पास बैठी थी। यह पेड़ सबका प्रिय था क्योंकि उसकी शाखाएँ मौसम की तरह बदलती नहीं थीं और उसमें पुराना ज्ञान बसता था। पेड़ ने नीलू की उदासी देखी और हल्की सरसराहट के साथ पूछा कि वह इतनी परेशान क्यों है। नीलू ने सिर झुकाते हुए कहा कि वह कभी उड़ नहीं पाएगी, क्योंकि उसके पंखों में वह चमक ही नहीं है जो बाकी परियों के पास है।

पुराने पेड़ ने शांत आवाज में कहा कि चमक पंखों में नहीं, कोशिशों में होती है। उसने बताया कि असली जादू तब जागता है जब कोई अपने डर को छोटा कर देता है। नीलू ने गहरी सांस ली और सोचा कि शायद वह एक बार फिर कोशिश कर सकती है, लेकिन इस बार पूरे दिल से। उसने पेड़ से पूछा कि वह क्या करे। पेड़ ने कहा कि उसे घाटी के दूसरी ओर जाना चाहिए, जहाँ फुसफुसाती घाटी का पहाड़ है। वहाँ की हवा में एक खास सी ताजगी होती है जो साहसी दिलों को शक्ति देती है। नीलू ने सोचकर तय किया कि आज ही वह उस जगह तक जाएगी।

अगली सुबह नीलू ने साहस जुटाया और छोटे-छोटे कदमों के साथ अपनी यात्रा शुरू की। रास्ते में वह चमकते पत्थरों पर कूदती, रंगीन पत्तों के बीच चलती और कभी-कभी हवा में थोड़ी देर तैरने की कोशिश करती। कई बार उसे लगा कि वह गिर जाएगी, लेकिन उसने खुद को रोका नहीं। घाटी में रहने वाले कई जीव उसे देखते और उसकी हिम्मत की दाद देते। एक छोटी चिड़िया ने तो उसे रास्ता बताने में भी मदद की। नीलू थोड़ी थक गई थी, लेकिन उसके दिल में एक नई उम्मीद थी।

घाटी के उस पार पहुँचकर उसने देखा कि वहाँ की हवा सच में अलग थी, ठंडी लेकिन जीवंत, जैसे उसमें कोई अनदेखी शक्ति हो। नीलू ने अपने पंख फैलाए और हवा को महसूस किया। वह घबराई हुई थी, लेकिन उसने पुराने पेड़ की बात याद की। उसने गहरी सांस ली और अपने पंख हिलाए। इस बार वह पहले से ज्यादा ऊँची उठी। उसे डर लगा, पर उसने पीछे नहीं देखा। हवा ने जैसे उसे सहारा दिया और वह कुछ और ऊपर उठ गई। नीचे फूल खिलखिलाते हुए उसके लिए तालियाँ बजा रहे थे।

अचानक नीलू ने महसूस किया कि उसके पंखों से हल्की रोशनी निकल रही है। पहले वह थोड़ी थी, फिर बढ़ने लगी। उसके पंख चमकने लगे, मानो उनमें किसी ने चांदी घोल दी हो। वह अब सच में आसमान में तैर रही थी। उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसने खुद को ढूंढ लिया हो। वह खुशी से हँसी और हवा में घूमते हुए रंगों की लकीरें बनाने लगी। दूर से बाकी तितली परियाँ उसे उड़ता देख कर चकित रह गईं।

शिक्षा: हिम्मत करने वाला ही उड़ना सीख पाता है।

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