बुलबुलों का आकाश
दूर एक छोटे से गाँव में एक बच्चा रहता था जिसका नाम रोहित था। वह हर शाम अपने घर की छत पर बैठकर आसमान को देखता रहता था। उसे लगता था कि आसमान कभी-कभी बहुत खाली है, जैसे उसमें कुछ मज़ेदार होना चाहिए। एक रात वह हवा में तैरते हल्के नीले चमकदार बुलबुले देख कर चौंक गया। वे साधारण बुलबुले नहीं थे। उनमें चमकती रौशनी थी और वे बहुत ऊपर आसमान की ओर जा रहे थे। रोहित ने पहली बार इतने जादुई बुलबुले देखे थे।
अगली शाम उसने फिर से इंतजार किया। ठीक वैसी ही चमक आकाश के किनारे दिखी और इस बार वह थोड़ा और नजदीक आ गई। रोहित ने महसूस किया कि उसमें से कोई नाज़ुक और छोटी आकृति निकल रही है। वह एक प्यारी परी थी, उसके पंख हल्की नीली चमक छोड़ रहे थे। उसके हाथ में एक छोटी छड़ी थी, और हर बार जब वह उसे घुमाती, हवा में एक बड़ा बुलबुला तैरने लगता। वह बुलबुले हवा में उड़ते और आसमान में जाकर एक दूसरे से जुड़ने लगते। धीरे-धीरे वे मिलकर छोटे-छोटे तैरते घरों जैसे दिखने लगे। रोहित तो बस मंत्रमुग्ध होकर देखता रह गया।
परी ने उसे देखा तो मुस्कुराते हुए नीचे उतरी और पूछने लगी, “तुम इन्हें इतने ध्यान से क्यों देख रहे हो?” रोहित बोला, “क्योंकि ये दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ है। ये बुलबुले क्या सच में आसमान में घर बनाते हैं?” परी ने सिर हिलाया और बोली, “हाँ, ये बुलबुले सिर्फ देखने भर के लिए नहीं हैं। ये उन बच्चों के सपनों से बने हैं जो बादलों पर खेलने का ख्वाब देखते हैं।” रोहित इसे सुनकर चौंक गया। उसे भी बचपन से यही ख्वाहिश थी, रात को आसमान में तैरते बादलों पर खेलना, दौड़ना, कूदना।
पर वह जानना चाहता था कि परी ऐसा क्यों करती है। परी ने बताया कि वह “बुलबुलों का आकाश” बनाए बिना अपने जादू की शक्ति को बनाए नहीं रख सकती। हर बुलबुला किसी बच्चे की मासूम खुशी से बनता है। अगर बच्चे सपने देखना छोड़ दें तो बुलबुले बनना भी बंद हो जाएंगे। इसलिए परी हर रात ऐसे बुलबुले तैयार करती है ताकि दुनिया भर के बच्चों के सपने जिन्दा रहें। रोहित को यह बहुत अनोखा लगा और वह हर रात परी के आने का इंतजार करने लगा।
एक रात अचानक हवा बहुत तेज़ चलने लगी। बादलों में अजीब सा शोर था, जैसे कोई चीज़ उन्हें फाड़ने की कोशिश कर रही हो। रोहित डर गया और छिपने ही वाला था कि उसने देखा परी बहुत परेशान दिख रही है। उसके बुलबुले हवा में बिखर रहे थे और घर बनने से पहले ही फट जा रहे थे। वह बार-बार कोशिश कर रही थी लेकिन कुछ भी सफल नहीं हो रहा था। रोहित दौड़कर उसके पास गया और पूछा कि क्या हुआ। परी ने बताया कि आज रात “आँधियों का साया” जाग गया है। वह तेज़ हवाओं से बुलबुलों को तोड़ने की कोशिश कर रहा है ताकि बच्चों के सपनों का आकाश कभी न बन सके।
रोहित ने तुरंत कहा कि वह मदद करेगा। परी ने उसे बताया कि बुलबुले हवा से बनते हैं लेकिन उन्हें सुरक्षित रखने के लिए किसी को बहुत ही साफ और खुश सोच रखनी पड़ती है। रोहित ने आँखें बंद कर लीं और अपने सबसे प्यारे सपने याद करने लगा।
परी ने कहा, “अगर तुम कल अपने दोस्तों को हिम्मत, भलाई और सपने देखने की महत्व बताओगे तो उनके लिए भी बुलबुले मजबूत होंगे। बुलबुलों का आकाश उसी दिन और फैल जाएगा।” रोहित ने सिर हिलाया और वादा किया कि वह ऐसा जरूर करेगा। थोड़ी देर बाद परी ने धीरे से छड़ी घुमाई और रोहित को वापस उसकी छत पर उतार दिया। आसमान अब शांत था और बुलबुले फिर से चमक रहे थे।
अगली सुबह रोहित अपने दोस्तों को पूरी कहानी सुनाता रहा। उसने उन्हें कहा कि खुश सपने देखना, एक-दूसरे की मदद करना और दिल को साफ रखना कितना जरूरी है। उसके बाद कई रातों तक उसने आसमान में और भी बड़े बुलबुले बनते देखे। शायद परी अब और भी ज्यादा बच्चों के सपने बुन रही थी।
शिक्षा: जब दिल साफ और नीयत अच्छी हो तो सपनों की दुनिया भी हकीकत बन सकती है।