सोने-वाली-घंटी-का-रहस्य-—-The-Secret-of-the-Sleep-Bell

सोने वाली घंटी का रहस्य — The Secret of the Sleep Bell

परी कथाएँ

सोने वाली घंटी का रहस्य 

धानपुर गाँव में शाम का समय था। सूरज ढलने को था और हवा में मिट्टी की महक तैर रही थी। चरवाहा श्याम अपने झुंड को लेकर खेतों से लौट रहा था। उसके साथ थी उसकी प्यारी गाय धानी, जिसकी गर्दन में बंधी छोटी सी सोने वाली घंटी पूरे गाँव की पहचान थी। जब भी धानी चलती, उसकी घंटी एक मीठी और नरम आवाज़ करती, जो गाँव के बच्चों को रात में गहरी और मीठी नींद दिलाती थी। जैसे ही रात उतरती, बच्चे अपने बिस्तरों में लेटते और श्याम धानी को लेकर गाँव की गलियों से गुजरता। घंटी की टुनटुनाहट फैलते ही बच्चे शांत हो जाते, आँखें बंद कर लेते और थोड़ी ही देर में नींद की दुनिया में खो जाते। लोग कहते थे कि धानी की घंटी में कोई खास जादू है, पर असल में जादू था धानी की शांति और उसकी कोमल चाल में। वह किसी को भी देखकर खुश हो जाती और उसी खुशी से घंटी की गूंज और भी मीठी लगने लगती।

कई महीने यही चलता रहा, लेकिन एक दिन कुछ अजीब हुआ। उस शाम श्याम बच्चों के लिए पहले की तरह धानी को लेकर गाँव में घूम रहा था, पर घंटी की आवाज़ बिल्कुल नहीं आई। धानी गर्दन हिला रही थी, चल भी रही थी, लेकिन घंटी जैसे बेजान हो चुकी थी। बच्चे खिड़कियों से झाँकते रहे, पर मीठी धुन न सुनकर बेचैन होने लगे। कई बच्चे तो सो ही नहीं पाए। श्याम परेशान हो गया। उसने घंटी उतारी, झाड़ा, साफ़ किया, फिर से पहनाई, लेकिन कोई आवाज़ नहीं। अगली सुबह जब श्याम ने धानी को सहलाया, उसने देखा कि धानी भी उदास थी। उसकी आँखें चमक नहीं रही थीं और वह चुपचाप खड़ी थी। श्याम समझ नहीं पा रहा था कि अचानक उसे क्या हो गया।

गाँव के कुछ बुजुर्गों ने कहा कि शायद घंटी पुरानी हो गई है, शायद अब उसे बदल देना चाहिए। लेकिन श्याम जानता था कि ये सिर्फ घंटी की बात नहीं है। वो घंटी धानी को पसंद थी, वही घंटी उसकी खुशी का कारण थी। वह घंटी नई नहीं चाहता था, वह चाहता था कि उसकी धानी फिर से खुश हो जाए। लंबे समय तक सोचते हुए श्याम धानी को लेकर नदी किनारे चल पड़ा। यह वही जगह थी जहां धानी को सबसे ज्यादा सुकून मिलता था। दोनों चुपचाप बैठे रहे। तभी धानी ने अचानक अपना सिर श्याम की गोद में रख दिया जैसे कह रही हो कि वह थकी हुई है। श्याम ने उसे धीरे से सहलाया।

श्याम को ये बात अंदर तक समझ आ गई। उसने सोचा कि शायद धानी को सिर्फ आराम नहीं, बल्कि प्यार की जरूरत है। उस दिन श्याम ने उसके लिए फूल तोड़े, खेत में उसके साथ दौड़ा, उसको अपने पास बिठाकर गाना भी सुनाया। धानी उसकी बातें ध्यान से सुनती रही और धीरे-धीरे उसके मन की थकान मिटने लगी। वही शाम आई जिसका सभी इंतजार कर रहे थे।

तभी धानी ने खुशी से हल्की दौड़ लगा दी जैसे उसे अपना पुराना उत्साह वापस मिल गया हो। और जैसे ही वह दौड़ी, घंटी इतनी मीठी और साफ़ गूंजी कि पूरा गाँव सुनता रह गया। बच्चे मुस्कुराए, खिड़कियाँ खुल गईं और सभी ने राहत की सांस ली। श्याम की आँखें चमकीं। धानी खुशी से दमक रही थी। घंटी अब सिर्फ बज नहीं रही थी, गा रही थी। उस रात बच्चे जल्द सो गए। उन्हें पहले जैसी मीठी नींद आई। और श्याम समझ गया कि रहस्य घंटी का नहीं था। रहस्य था धानी की खुशी, उसके दिल की हल्कापन और उसकी देखभाल।

धीरे-धीरे सब कुछ फिर से पहले जैसा हो गया। लेकिन श्याम अब और ध्यान रखता। वह रोज धानी को थोड़ी देर खेलाता, उसको पसंद की चीजें खिलाता और उसकी सेहत का खास ख्याल रखता। और धानी भी खुश होकर गाँव के बच्चों को मीठी नींद देती रही। घंटी का जादू चलता रहा क्योंकि वह जादू किसी चीज़ में नहीं बल्कि प्यार और देखभाल में छिपा था।

शिक्षा: किसी भी चीज़ का असली जादू देखभाल और खुशी में होता है। जब हम मन से किसी की परवाह करते हैं, तो दुनिया खुद सुंदर लगने लगती है।

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