चालाक नेवला और धूर्त बिल्ली
गाँव के किनारे बने एक छोटे से घर में एक दादी रहती थी, जो हर सुबह आँगन में ताज़ी रोटियाँ सेंकती थी. घर के आसपास पेड़ों की छाया थी, और दादी की रोटियों की खुशबू दूर तक फैल जाती थी. उसी घर के पास एक चालाक नेवला रहता था, जिसे दादी का आँगन बहुत पसंद था क्योंकि वहाँ हमेशा कुछ न कुछ खाने को मिल जाता था. नेवला मेहनती था और किसी का नुकसान नहीं करता था. दूसरी ओर, ठीक उसी इलाके में एक धूर्त बिल्ली घूमती थी, जो हर वक्त चोरी-छिपे कुछ न कुछ हड़पने की फिराक में रहती थी. उसकी आदत थी कि घरों के पास दबे पांव जाकर खाना चुराना और फिर मौका मिलते ही बिना पकड़े भाग जाना. दादी को कई दिनों से लग रहा था कि उनकी रोटियाँ कोई चुरा रहा है. सुबह रोटियाँ बनाकर रखतीं, लेकिन थोड़ी ही देर में एक-दो गायब मिलतीं.
दादी को शक था कि शायद कोई जानवर ऐसा कर रहा है, पर कौन, यह पता नहीं चलता था. धीरे-धीरे ये बात नेवले को भी समझ आने लगी. वह प्रतिदिन आँगन में घूमता था और उसे भी कई बार आधी खाई रोटियाँ झाड़ियों के पास पड़ी मिल जाती थीं. नेवला सोचता रहा कि ऐसा काम कौन कर सकता है. वह जानता था कि वह खुद चोरी नहीं करता, और आस-पास के पक्षी भी इतनी बड़ी रोटी नहीं ले जा सकते. उसके मन में शक होने लगा कि यह किसी चालाक जानवर की करतूत है. एक शाम नेवले ने तय किया कि वह खुद इस रहस्य का पता लगाएगा. वह आँगन के किनारे रखे दादी के पुराने लकड़ी के बक्से के पीछे छिप गया और इंतजार करने लगा. चाँद की हल्की रोशनी आँगन में पड़ रही थी, और रात बिलकुल शांत थी. तभी अचानक झाड़ियों से एक परछाई निकली. परछाई पहले धीरे-धीरे चली, फिर दादी की रोटियों के पास जाकर तेज़ी से झपटी. नेवले ने ध्यान से देखा. वह वही धूर्त बिल्ली थी, जो अक्सर रात में शिकार की तलाश में घूमती थी.
बिल्ली ने एक रोटी उठाई और पीछे मुड़कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा. उसके चेहरे पर एक अजीब-सी मुस्कान थी, मानो उसे खुद पर बहुत गर्व हो कि वह इतनी आसानी से सबको बेवकूफ बना देती है. नेवले ने सोचा कि अगर वह तुरंत बाहर आएगा, तो बिल्ली शायद भाग जाएगी और चोरी का सच फिर भी सामने नहीं आएगा. उसने योजना बनाई, क्योंकि वह समझ गया था कि सीधे भिड़ना काम नहीं आएगा. अगले दिन सुबह दादी फिर आँगन में रोटियाँ बनाने लगीं. नेवला हमेशा की तरह पास ही घूम रहा था, लेकिन इस बार वह बिल्ली की नजर पर भी था. बिल्ली ने देखा कि दादी अंदर गई हैं, तो वह तुरंत रोटियों की तरफ बढ़ी. नेवला चुपचाप छत के पास चढ़ गया और इंतजार करने लगा. जैसे ही बिल्ली ने रोटी मुँह में दबाई, नेवले ने एक पुराना मिट्टी का छोटा ढक्कन धक्का देकर नीचे गिराया.
ढक्कन गिरते ही जोर की आवाज हुई. बिल्ली डर गई और उसके मुँह से रोटी छूट गई. दादी तुरंत बाहर आईं और यह देखकर चौंक गईं कि उनके सामने बिल्ली खड़ी है और रोटी जमीन पर गिरी है. दादी ने कहा, “ओह, तो यह करती थी तू हर रोज रोटी चोरी.” बिल्ली भागने लगी, लेकिन नेवला तुरंत उसके रास्ते में आ गया. उसने जोर से घर की दीवार ठोकी, जिससे दादी को लगा कि नेवला उन्हें कुछ बताना चाहता है. दादी ने ध्यान से देखा तो बिल्ली के पैरों के निशान गिरे आटे में साफ दिखाई दे रहे थे. अब यह पूरी तरह साबित हो गया कि पिछले कई दिनों की चोरी का असली कारण बिल्ली थी. बिल्ली अपनी करतूत पकड़ी जाने पर भाग गई और फिर कभी उस घर के पास नहीं आई. दादी ने नेवले को प्यार से देखा और कहा, “तू तो सच में बहुत चालाक है.” नेवले को अच्छा लगा कि उसने बिना किसी झगड़े सच सामने ला दिया.
वह जानता था कि गलत काम को रोकने के लिए तेज दिमाग और सही वक़्त पर सही कदम बहुत मायने रखते हैं. उस दिन के बाद से दादी ने अपने आँगन में नेवले के लिए थोड़ा-सा खाना अलग रखने लगीं. नेवला शांत होकर रहता और घर की रक्षा करने में मदद करता. चोरी बंद हो गई, और आँगन में फिर से वही शांति लौट आई जो पहले हुआ करती थी. इस घटना के बाद गाँव के लोग भी एक बात समझ गए कि सच्चाई अंत में सामने आती है, चाहे कोई कितनी ही चालाकी क्यों न कर ले.
शिक्षा: सच का साथ हमेशा सही रास्ते तक ले जाता है.