क्रिस्टल परी की भूलभुलैया
हरे पहाड़ों के बीच एक शांत और चमकदार जंगल था जिसे लोग क्रिस्टल वन कहते थे। इस जंगल की खासियत थी कि यहाँ हर पत्ती, हर बेल और हर पत्थर में हल्की कांच जैसी चमक रहती थी। धूप जैसे ही गिरती, पूरा जंगल इंद्रधनुषी रोशनी से जगमगा उठता था। कहा जाता था कि इस जंगल में एक जादुई भूलभुलैया है, जिसे क्रिस्टल परी संभालती है, और वहाँ केवल वही पहुँच सकता है जिसकी नीयत साफ हो। लेकिन भूलभुलैया में एक बार प्रवेश करने के बाद बाहर निकलना आसान नहीं होता।
इसी जंगल के पास एक छोटा सा गाँव था, जहाँ एक दयालु और जिज्ञासु लड़का रहता था। उसका नाम था नील। नील हर नई चीज सीखना चाहता था, हर जगह जाना चाहता था और हर रहस्य को समझना चाहता था। एक दिन उसने गाँव के बुजुर्गों को क्रिस्टल जंगल और उसकी जादुई भूलभुलैया के बारे में बातें करते सुना। बुजुर्ग कह रहे थे कि वहाँ जाना खतरनाक है, क्योंकि जो लोग लालच, गुस्से या घमंड के साथ भूलभुलैया में गए, वे कभी लौटकर नहीं आए। लेकिन जो ईमानदार और दयालु थे, उन्हें वहाँ से कोई अनमोल सीख मिली। यह सुनकर नील के मन में जंगल का खिंचाव और बढ़ गया।
अगली सुबह नील अपने छोटे बैग और कुछ फल लेकर चुपचाप जंगल की ओर निकल गया। जैसे-जैसे वह अंदर गया, जंगल और भी चमकदार होता गया। पेड़ चमक रहे थे, पत्थर झिलमिला रहे थे, और हवा में एक अजीब सी सरसराहट थी। नील को लगा कि यहाँ सच में कोई जादू है। कुछ देर चलने के बाद वह एक बड़े क्रिस्टल के दरवाजे के सामने पहुँचा। दरवाजे पर हल्की सी नक़्क़ाशी थी, जो सूरज की किरणों में चमक रही थी। नील ने दरवाजा छूते ही महसूस किया कि यह असली दरवाजा नहीं, बल्कि कोई जादू है। जैसे ही उसने कदम आगे बढ़ाए, दरवाजा अपने आप खुल गया, और नील भूलभुलैया में प्रवेश कर गया।
अंदर का दृश्य अलग ही था। रास्ते कांच जैसे साफ थे, दीवारें चमकीले क्रिस्टल से बनी थीं और उनमें नील अपना प्रतिबिंब देख सकता था। रास्ते तीन दिशाओं में बंटे थे। नील ने दायीं ओर जाने का फैसला किया। वह कुछ दूर चला था कि उसे एक हल्की सी आवाज सुनाई दी। किसी छोटे जीव के रोने की आवाज थी। नील ने आवाज का पीछा किया और देखा कि एक नन्हा चमकीला जीव क्रिस्टल के एक टुकड़े में फँसा पड़ा है। उसका पंख घायल था और वह बाहर नहीं निकल पा रहा था। नील ने बिना सोचे पत्थर हटाने की कोशिश की। काफी मेहनत के बाद उसने उस जीव को बाहर निकाला और अपने रुमाल से उसके पंख पर हल्का सा पानी लगा दिया। वह जीव धीरे-धीरे ठीक होने लगा और नील के हाथ पर बैठ गया। नील मुस्कराया और उसे उड़ा दिया।
आखिरकार वह एक बड़े खुले कक्ष में पहुँचा। कक्ष के बीच में एक विशाल चमकता हुआ क्रिस्टल था, और उसके ऊपर तैर रही थी क्रिस्टल परी। उसके पंख नीले और गुलाबी उजाले से भरे थे, और उसकी आवाज शांत और मधुर थी। वह नील को देखकर मुस्कुराई और बोली कि भूलभुलैया में बहुत लोग आते हैं, लेकिन बहुत कम लोग दयालुता के रास्ते को चुनते हैं। उसने बताया कि नील ने जिन छोटे जीवों की मदद की, वे भूलभुलैया के रक्षक थे।
क्रिस्टल परी ने हाथ उठाया तो पूरा कमरा चमकने लगा और भूलभुलैया की दीवारें धीरे-धीरे गायब होने लगीं। नील ने देखा कि बाहर जाने का एक साफ रास्ता बन गया है। परी ने कहा कि नील का दिल साफ है, इसलिए उसे बाहर निकलने का मार्ग मिला है। नील ने धन्यवाद कहा और बाहर के रास्ते पर चल दिया।
जंगल के बाहर पहुँचकर उसने पीछे मुड़कर देखा, तो भूलभुलैया गायब हो चुकी थी जैसे वह कभी वहाँ थी ही नहीं। नील को समझ आया कि जादुई जगहें सिर्फ दयालु लोगों के लिए अपने रास्ते खोलती हैं। वह गाँव लौटा और अपनी कहानी सबको सुनाई। लोग हैरान हो गए और नील की हिम्मत और भलाई की सराहना करने लगे।
उस दिन से नील ने ठान लिया कि वह हमेशा दूसरों की मदद करेगा क्योंकि दयालुता सबसे बड़ा जादू है।
शिक्षा: सच्ची दयालुता हर मुश्किल रास्ते को आसान बना देती है।