कुत्ता-और-अपनी-परछाई-–-Dog-and-His-Shadow

कुत्ता और अपनी परछाई – Dog and His Shadow

जानवरों की कहानियाँ

कुत्ता और अपनी परछाई 

एक हरी-भरी घाटी में एक छोटा सा गाँव बसा था, जिसके किनारे एक शांत नदी बहती थी और नदी पर एक मजबूत लकड़ी का पुल बना था। इस गाँव में एक कुत्ता रहता था, जिसका स्वभाव थोड़ा लालची था लेकिन दिल से वह बुरा नहीं था। उसे अपनी मेहनत से मिली चीज़ें बहुत पसंद थीं, खासकर जब बात खाने की हो। एक दिन दोपहर के वक्त कुत्ता जंगल के किनारे घूम रहा था। घूमते-घूमते उसे एक बड़ी और रसदार हड्डी मिल गई। कुत्ते की आँखें चमक उठीं। उसने हड्डी को मजबूती से मुँह में पकड़ा और जल्दी-जल्दी गाँव की ओर चलने लगा ताकि कोई दूसरी जानवर इसे उससे छीन न ले। वह मन ही मन सोच रहा था कि इस हड्डी को आराम से किसी सुरक्षित जगह बैठकर खाऊँगा।

जब वह नदी के पास आया, तो हमेशा की तरह उसे पुल पार करना था। पुल पर चढ़ते हुए कुत्ता थोड़ा सावधान हो गया, क्योंकि नीचे गहरी नदी बहती थी और पानी साफ था। पानी इतना साफ था कि उसमें आसमान, बादल और आसपास के पेड़ों की छाया साफ दिखती थी। कुत्ता हड्डी को कसकर पकड़े हुए था और गर्व से कदम बढ़ा रहा था। उसे अपनी मेहनत पर बेहद खुशी थी कि बिना किसी झंझट के इतनी बढ़िया हड्डी मिल गई। मगर जैसे ही वह पुल के बीच में पहुँचा, उसने नीचे पानी में झाँका। और जो उसने देखा, उससे वह चौंक गया। नीचे पानी में उसे एक और कुत्ता दिखाई दिया। उस कुत्ते के मुँह में भी एक हड्डी थी, और वह हड्डी उसे अपनी हड्डी से कहीं बड़ी और मोटी लगी। कुत्ते के मन में तुरंत लालच जाग उठा। वह सोचने लगा कि नीचे वाला कुत्ता मुझसे अच्छी हड्डी कैसे पा सकता है। मुझे उसकी वाली भी लेनी चाहिए।

वह नीचे के प्रतिबिंब को असली कुत्ता समझ बैठा। उसे यह महसूस ही नहीं हुआ कि वह उसकी अपनी परछाई थी। लालच ने उसकी सोच पर पर्दा डाल दिया। उसने मन में कहा, अगर मैं थोड़ा जोर से भौंक दूँ तो वह कुत्ता डर जाएगा और अपनी हड्डी गिरा देगा। मैं दोनों हड्डियाँ लेकर जा सकता हूँ। यह सोचकर कुत्ता खुशी से भर गया और तैयार हो गया भौंकने के लिए। लेकिन समस्या यह थी कि उसके मुँह में उसकी अपनी हड्डी थी और अगर उसे भौंकना होता, तो उसे मुँह खोलना पड़ता। लालच ने उसकी बुद्धि पर पूरी तरह कब्जा कर लिया था।

उसने सोचा, चलो एक पल के लिए मुँह खोलकर भौंक दूँ, फिर जल्दी से हड्डी पकड़ लूँगा। कुत्ते ने नीचे देखा, अपनी परछाई को फिर से बड़ी हड्डी के साथ देखा, और झट से मुँह खोला। जैसे ही उसने मुँह खोला, उसकी हड्डी सीधे नीचे नदी में गिर गई। पानी में गिरने की आवाज हुई और हड्डी गहराई में चली गई, लेकिन परछाई वाली हड्डी वैसे ही दिखाई देती रही।

असल में परछाई की हड्डी कभी थी ही नहीं, वह सिर्फ भ्रम था। यह देखकर कुत्ता घबरा गया और समझ नहीं पाया कि उसकी हड्डी कहाँ गायब हो गई। घबराकर उसने तेजी से पानी में नीचे देखने की कोशिश की, लेकिन उसे सिर्फ पानी की लहरें ही दिखीं। परछाई भी हड्डी के साथ गायब हो गई। कुत्ता हड़बड़ा गया और दुखी होकर बैठ गया। उसे समझ आने लगा कि जो उसने देखा था, वह असली नहीं था। जो खोया, वह असली था। वह असली हड्डी जो उसके पास थी, वह लालच के कारण चली गई। थोड़ी देर बाद कुत्ता पुल के किनारे बैठकर अपने किए पर पछताने लगा। उसने सोचा कि मैं तो ठीक-ठाक अपनी हड्डी लेकर जा रहा था, मुझे किसी और की ओर देखने की जरूरत ही नहीं थी।

लेकिन लालच के चक्कर में मैंने खुद का ही नुकसान कर लिया। अगर मैं शांत रहता और अपनी हड्डी से संतुष्ट होता, तो अभी खुशी से उसे खा रहा होता। कुत्ता बहुत देर तक वहीं बैठा रहा, सोचता रहा कि लालच कितना बड़ा दोष है। फिर वह धीरे-धीरे गाँव की ओर वापस चल पड़ा।

शिक्षा: लालच हमें नुकसान पहुँचाता है, इसलिए जो हमारे पास है उसी की कद्र करनी चाहिए।

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