फूलों की दुखी परी
फूलों के घाटी नाम की एक शांत और रंगीन जगह थी जहाँ हर तरफ खुशबू फैली रहती थी और छोटे छोटे तितलियाँ हवा में खेलती थीं। इस घाटी की सारी सुंदरता का ख्याल रखती थी फूलों की परी, जिसे सब सिया कहते थे। सिया की एक खास बात थी कि जितनी उसकी मुस्कान चमकती थी, उतने ही रंग फूलों में भी नजर आते थे। लेकिन अगर उसके मन में हल्की सी भी उदासी आ जाए तो फूल तुरंत मुरझाने लगते थे। इसलिए घाटी के लोग हमेशा कोशिश करते थे कि सिया खुश रहे ताकि घाटी हमेशा खूबसूरत बनी रहे।
रिया ने सोचा कि शायद सिया को कुछ अच्छा लगे तो वह खुद ही खुश हो जाए। वह अपने दोस्तों के साथ भागी और उन्होंने फूलों की घाटी में जितनी भी चीजें थीं, उनसे कुछ अच्छा बनाने की कोशिश की। किसी ने तितलियों के लिए एक छोटा सा बगीचा बनाया, किसी ने रंगीन पत्तों से एक खूबसूरत हार बनाया, किसी ने पत्थरों से दिल का आकार बना दिया। बच्चों ने काफी मेहनत की ताकि सिया को अच्छा महसूस हो।
लेकिन जब वे अपने बनाए हुए उपहार लेकर सिया के पास पहुँचे तो वह अभी भी उतनी ही उदास थी। उसने बच्चों की कोशिशों की सराहना की लेकिन उसके चेहरे पर खुशी की एक भी चमक नहीं आई। बच्चे परेशान हो गए क्योंकि वे समझ नहीं पा रहे थे कि अब क्या किया जाए। तभी रिया को एक बात याद आई। उसने सोचा कि शायद सिया को चीजें नहीं, बल्कि किसी की सच्ची बात सुनने की जरूरत है।
रिया ने सिया से कहा कि वह उनसे अपने दिल की बात सच में बताए, क्योंकि कभी कभी अकेले उदासी झेलना मुश्किल होता है। सिया ने गहरी सांस ली और आखिरकार धीरे से बोली कि घाटी में एक पुराना पेड़ था जिसका वह रोज ख्याल रखती थी। उस पेड़ का एक हिस्सा टूट गया था और उसे ठीक न कर पाने के कारण उसे लग रहा था कि वह अच्छे से अपना काम नहीं कर पा रही। इसी वजह से वह खुद को कमजोर महसूस कर रही थी और उदास हो गई थी।
रिया ने तुरंत कहा कि एक गलती या एक चीज का टूट जाना किसी की क्षमता को कम नहीं करता। उसने सिया का हाथ पकड़कर कहा कि सब कुछ हमेशा perfect नहीं होता और सबको कभी न कभी मदद की जरूरत पड़ती है। उसने कहा कि अगर फूलों को फिर से खिला सकते हैं तो उस पुराने पेड़ को भी मिलकर ठीक किया जा सकता है। बच्चों ने भी उत्साह में सिर हिलाया।
सिया ने पहली बार थोड़ा सा मुस्कुराने की कोशिश की। बच्चों ने उसे उठाया और उस टूटे पेड़ के पास ले गए। उन्होंने मिलकर उसकी शाखाओं को बांधा, उसकी जड़ों पर पानी डाला और उसके आसपास का हिस्सा साफ किया। काम करते करते बच्चों के चेहरे पर खुशी आ गई। सिया ने उन्हें देखना शुरू किया और उसकी आंखों में धीरे धीरे चमक लौटने लगी।
जब पेड़ थोड़ा सीधा होकर खड़ा हो गया तो घाटी में हवा भी बदलने लगी। तितलियाँ फिर उड़ने लगीं, फूलों की पंखुड़ियाँ धीरे धीरे उठने लगीं और उन पर हल्का सा रंग दिखने लगा। सिया इस बदलाव को देखकर चकित रह गई। उसकी मुस्कान अब वापस आ गई थी और उसी के साथ फूल भी पूरी तरह खिलने लगे। घाटी फिर से रंगों और खुशबू से भर गई।
सिया ने बच्चों को गले लगाया और कहा कि उनका सच्चा साहस, सच्ची दया और सच्ची बातें उसके लिए सबसे बड़ा उपहार हैं। उसने कहा कि जब लोग दिल से किसी की मदद करते हैं तो प्रकृति भी उनकी मदद करती है। बच्चों ने खुशी से चिल्लाया और पूरी घाटी फिर से हँसी से भर गई। रिया ने आसमान में चमकते फूलों की रौशनी को देखा और सोचा कि कभी कभी किसी की मुस्कान वापस लाने के लिए बस थोड़ा सा प्यार काफी होता है।
शिक्षा: उदासी को दूर करने के लिए सच्ची बात, दया और साथ बहुत जरूरी होते हैं।