उड़ने वाला जूता और बहादुर बच्चा
एक हरी और शांत पहाड़ी की ढलान पर बसे छोटे से गांव में आरव नाम का एक बच्चा रहता था, जो अपने गांव में अपनी बहादुरी, दया, और सीखने की चाह के लिए जाना जाता था। आरव का परिवार साधारण था, घर मिट्टी और लकड़ी से बना था, और उसका सबसे पसंदीदा काम खेतों के बीच दौड़ना, नए पेड़ ढूंढना और पुरानी कहानियाँ सुनना था। लेकिन उसकी एक कमजोरी थी, उसे कभी भी तेज दौड़ नहीं मिल पाती थी। उसके दोस्त दौड़ में उससे आगे निकल जाते थे और वह हमेशा सोचता था कि काश उसे भी उड़ने जितनी तेजी मिल जाती।
एक दिन जब सूरज ढलने ही वाला था और आसमान में हल्की सुनहरी चमक थी, आरव जंगल के किनारे खेलते हुए एक पुराने पेड़ की जड़ में चमकती हुई नीली रोशनी देखता है। पहले तो उसे लगा यह कोई कांच का टुकड़ा होगा, लेकिन जैसे ही उसने पास जाकर देखा, उसकी आंखें हैरानी से फैल गईं। वहां एक छोटा, पर चमकदार जादुई जूता रखा था। जूता अजीब था क्योंकि वह खुद हल्का-सा हवा में तैर रहा था। वह न बिल्कुल बड़ा था, न बिल्कुल छोटा। वह बिल्कुल आरव के पैरों के जैसा था। आरव ने ध्यान से उसे उठाया, और अचानक जूता नरम आवाज़ में बोला, अगर तुम मुझे पहनोगे, तो मैं तुम्हें आकाश जितनी ऊंचाई पर भी ले जा सकता हूं और बादलों जितनी तेजी से दौड़ा भी सकता हूं, लेकिन हर सफर में तुम्हें अपनी बहादुरी साबित करनी होगी। आरव चौंका, लेकिन उसके मन में डर से ज्यादा जिज्ञासा थी। उसने तुरंत जूता पहन लिया और जैसे ही उसके पैर जमीन से उठे, वह एकदम ऊपर हवा में उड़ चला। उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।
वह पेड़ों के ऊपर से, पहाड़ों की चोटियों के पास से और गांव के ऊपर से हवा की तरह उड़ता हुआ आसमान में तैरने लगा। धीरे-धीरे उसे उड़ना आसान लगने लगा और वह समझ गया कि जूता सिर्फ जादुई नहीं था, वह उसे समझ भी सकता था। अगले ही दिन जूते ने धीरे से कहा, अब तुम्हारे सामने पहला काम है। तुम्हें पहाड़ी के पीछे बने गहरे जंगल में जाना होगा। वहां एक बूढ़ा चील रहता है जो कई दिनों से घायल है और जमीन पर गिरा है। अगर तुम उसकी मदद करोगे, तो तुम्हारी उड़ान और मजबूत होगी। आरव तुरंत निकल पड़ा। जंगल घना था, चीड़ों की सुगंध फैली थी और धूप की किरणें मुश्किल से नीचे उतर रही थीं। वह हवा में उड़ता हुआ उस जगह पहुंचा जहां बूढ़ा चील जमीन पर पड़ा था। चील की आंखों में थकान थी और उसके पंख एक बड़े पत्थर ने चोटिल कर दिए थे। आरव ने उसके पंख के नीचे हाथ रखा, पत्थर हटाया और चील को पानी पिलाने के लिए पास की धारा तक उड़ाकर ले गया। चील ने उसकी ओर कमजोर मगर आभारी आंखों से देखा।
उसके ठीक होते ही उसने आरव से कहा, तुमने मेरी जान बचाई है। जब भी जरूरत पड़े, मेरा नाम लेना और मैं तुम्हारे साथ रहूंगा। आरव मुस्कुराकर वापस उड़ गया। जादुई जूता अब पहले से ज्यादा चमक रहा था। कुछ दिनों बाद जूते ने फिर आवाज दी, अब दूसरा काम है और यह पिछले से मुश्किल होगा। गांव के पास की नदी में एक पुराना पुल है जो टूट गया है और आज रात तेज बारिश आने वाली है। अगर वह ठीक न हुआ तो लोग दूसरी तरफ नहीं जा पाएंगे। तुम्हें उस पुल पर जाकर पत्थर हटाने होंगे और लकड़ियां जमानी होंगी। आरव को पता था कि यह बड़ी चुनौती है, लेकिन उसने बिना सोचे उड़ान भरी। नदी के किनारे हवा तेज थी। पुल टूट चुका था, लकड़ियां बह रही थीं, और पानी उछल-उछल कर खतरनाक लग रहा था। उसने उड़ते हुए बड़े पत्थरों को किनारे किया, उखड़ी हुई लकड़ियों को वापस जमाया और अपनी पूरी ताकत से पुल को सहारा दिया। आधी रात तक बारिश शुरू हो गई, लेकिन आरव ने अपनी हिम्मत नहीं छोड़ी।
आखिरकार पुल इतना ठीक हो चुका था कि लोग सुरक्षित पार कर सकते थे। गांव के लोग सुबह यह देखकर हैरान रह गए कि पुल किसने ठीक किया है, पर आरव ने यह राज अपने दिल में ही रखा। कुछ दिनों बाद जादुई जूता उसे एक और सफर पर ले गया। इस बार उसे दूर के नीले पहाड़ों तक जाना था, जहां कहा जाता था कि एक कांच का महल है और वहां एक जादुई रानी रहती है। वह रानी दुनिया के हर बच्चे की हिम्मत पर नजर रखती थी और बहादुर बच्चों को अपनी दुआ देती थी। रास्ता लंबा था। पहाड़ ऊंचे थे, हवा ठंडी थी और आसमान बादलों से भरा था। उड़ते-उड़ते आरव को लगा कि वह थक रहा है। तभी अचानक काले बादलों में से एक तेज तूफान आया। वह ऊंचाई पर लड़खड़ाया और लगभग नीचे गिरने लगा। जूते ने कहा, डरना मत, डटे रहो। आरव ने खुद को संभाला और याद किया कि उसने घायल चील की मदद की थी। उसने उसका नाम पुकारा। कुछ ही सेकंड में चील अपने पंख फैलाए हवा को चीरते हुए उसके पास आया और उसे सहारा दिया। साथ में दोनों तूफान पार कर गए और नीले पहाड़ों के ऊपर पहुंच गए।
वहां ऊपर सच में चमकता हुआ कांच का महल था, जो सूरज की किरणों में चांदी जैसा चमक रहा था। रानी ने आरव को देखकर मुस्कुराते हुए कहा, तुमने बहादुरी दिखाई है, दूसरों की मदद की है और कभी हार नहीं मानी। तुम्हें यह जादुई हिम्मत की रोशनी मिलती है। इसके बाद तुम्हें किसी भी डर से बचाने के लिए एक अदृश्य ढाल हमेशा तुम्हारे साथ रहेगी। आरव ने सिर झुकाकर शुक्रिया किया और अपने गांव की ओर वापस उड़ चला। अब उसका जादुई जूता पहले से ज्यादा चमक रहा था, जैसे वह भी गर्व महसूस कर रहा हो। गांव लौटकर उसने जूते को उतारकर पेड़ की जड़ में रख दिया जहां से उसने उसे पाया था। जूते ने कहा, तुमने अपना सफर पूरा कर लिया है। अब मेरी जरूरत किसी और बच्चे को होगी जो बहादुरी सीखना चाहेगा। आरव ने मुस्कुराते हुए कहा, मैं हमेशा याद रखूंगा कि असली ताकत जूते में नहीं, बल्कि हमारे अंदर होती है। जूता नीली रोशनी में बदलकर हवा में घुल गया और आरव घर की ओर चल पड़ा। अब वह पहले से ज्यादा आत्मविश्वासी था और जब भी कोई मुश्किल आती, वह उस अदृश्य ढाल की गर्मी महसूस करता जिसे रानी ने उसे दिया था। उसकी कहानी गांव के बच्चों में फैल गई, लेकिन किसी को जादुई जूते के बारे में पता नहीं चला। सिर्फ आरव जानता था कि असली जादू हमेशा इंसान के दिल में होता है।
शिक्षा: हिम्मत और दया हमेशा नए रास्ते खोलती हैं, और सच्ची ताकत हमारे अपने दिल से आती है।