स्वर्ण परी और टूटे दिल वाला राजा
बहुत समय पहले एक दूर बसे राज्य में एक राजा रहता था जिसका दिल हमेशा भारी सा लगता था। उसकी आँखों के नीचे थकान रहती थी, महल कितना भी सुन्दर क्यों न हो, उसे कोई चीज़ खुश नहीं कर पाती थी। उसके सेवक उसे तरह-तरह के त्योहार, खेल और नज़ारे दिखाते, लेकिन राजा का दिल जैसे खाली सा हो गया था। लोग कहते थे कि राजा पहले बहुत हंसता था, बच्चों के साथ खेलता था, फुलवारी में घूमता था, पर अब वह हर समय खिड़की के पास बैठा आसमान की तरफ देखता रहता था जैसे किसी पुराने घाव को पकड़ कर बैठा हो।
राज्य के लोग अपने राजा को इतना उदास देखकर परेशान रहने लगे थे, लेकिन कोई समझ नहीं पा रहा था कि राजा के अंदर की टूटन कैसे भरी जाए। एक दिन रात के समय जब पूरा महल शांत था, तब महल की सबसे ऊँची मीनार के पास अचानक सुनहरी रोशनी चमक उठी। यह रोशनी धीरे-धीरे नीचे आई और उसके बीच से निकलकर सामने आई एक सुन्दर स्वर्ण परी। उसके पंखों पर सोने जैसी चमक थी और उसकी मुस्कुराहट किसी भी थके हुए दिल को सुकून दे सकती थी। वह धीरे से राजा के कमरे में पहुँची और बिना कोई आवाज़ किए उसके सामने खड़ी हो गई। राजा चौंक गया। उसने पूछा, कौन हो तुम और मेरे कमरे में कैसे आई? परी ने शांत स्वर में कहा, मैं स्वर्ण परी हूँ।
मैं तब आती हूँ जब किसी का दिल टूटकर चुपचाप दर्द में डूबा होता है। तुम्हारा दिल लंबे समय से उदास है, इसलिए मैं तुम्हारी मदद करने आई हूँ। राजा ने पहली बार किसी से इतना खुलकर बात की। उसने कहा कि उसे अपने पुराने दोस्त की याद बहुत सताती है जिसने राज्य छोड़ दिया था। राजा को लगता था कि उसने उसे रोककर दया और समझदारी नहीं दिखाई, और यही बात उसे सालों से कचोट रही थी। परी ने उसके पास बैठकर कहा, दिलों को जोड़ने के लिए दया, प्रेम और माफ़ी की शक्ति सबसे ज़रूरी होती है। कोई गलती दुनिया में ऐसी नहीं जो इनसे ठीक न हो सके। राजा ने धीरे-धीरे अपनी आँखें बंद कर लीं। उसे लगा जैसे किसी ने उसके दिल पर लगी धूल साफ कर दी हो।
परी ने अपना हाथ उसके सीने पर रखा और कहा, तुम्हारे अंदर अभी भी बहुत रोशनी है, बस तुमने उसे ढक रखा है। उसे दुनिया तक पहुँचने दो। अगली सुबह राजा वर्षों बाद पहली बार मुस्कुराया। उसने फैसला किया कि वह अपने दिल की अच्छाई को छुपाकर नहीं रखेगा। उसने अपने लोगों के लिए नए विद्यालय, भोजन केंद्र और देखभाल स्थान बनवाए। उसने बुजुर्गों से बात की, बच्चों से खेला और हर ग़रीब परिवार तक मदद पहुँचाई। लोग हैरान थे कि उनका राजा अब पहले से ज़्यादा दयालु और खुश हो गया था। कुछ हफ्तों बाद राज्य में खुशहाली लौट आई।
बाज़ारों में चहल-पहल बढ़ गई, किसान खुश थे, बच्चे गाते-खेलते थे और महल में भी हमेशा रोशनी रहती थी। एक दिन रात को जब राजा अकेले बैठा था, उसे वही सुनहरी चमक दिखाई दी। स्वर्ण परी फिर से आई थी। उसने मुस्कुराते हुए कहा, तुम्हारे दिल की टूटन भर चुकी है।
तुमने अपने राज्य को रोशनी दी है, अब यह रोशनी कभी कम नहीं होगी। राजा ने धन्यवाद कहा और सम्मान से सिर झुका दिया। परी ने हवा में घुलते हुए कहा, याद रखना कि दुनिया में सबसे बड़ा खजाना प्रेम और दया है।
जिस दिल में ये हों, वहाँ कभी अंधेरा नहीं रहता। इसके बाद परी आसमान में विलीन हो गई, और राजा ने अपने कमरे की खिड़की से चाँद की ओर देखते हुए महसूस किया कि अब उसका दिल सच में हल्का हो चुका है। राज्य में आने वाले सालों तक लोग कहते रहे कि जब राजा ने दया और प्रेम का रास्ता चुना था, तभी उनके राज्य का असली स्वर्ण युग शुरू हुआ था।
शिक्षा: दया और प्रेम सबसे बड़ी शक्ति हैं जो किसी भी टूटे दिल को ठीक कर सकती हैं।