सुनहरी हवा की रानी
एक शांत सा गाँव था जहाँ हर सुबह सूरज की रोशनी और हल्की हवा बच्चों को खेलने का बुलावा देती थी। गाँव वाले इस हवा को अपना दोस्त मानते थे क्योंकि यह खेतों में खड़ी फसलों को झुलाती थी, पेड़ों को नाचने पर मजबूर करती थी और गर्मी में ठंडी राहत देती थी। लेकिन एक दिन अचानक सब बदल गया। सुबह जैसे ही हुई, हवा पहले से ज्यादा तेज बहने लगी। धीरे-धीरे उसकी रफ्तार इतनी बढ़ गई कि लोग हैरान होने लगे। यह कोई साधारण हवा नहीं थी। यह किसी जादुई शक्ति से भरी लग रही थी।
शुरुआत में हवा ने हल्की-फुल्की चीजों को उड़ाना शुरू किया, पर कुछ ही देर बाद उसने मिट्टी के खिलौने, कपड़े, दरी और छप्पर तक उड़ा दिए। बच्चे डरकर अपने घरों के अंदर छिप गए और बड़े लोग समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर यह क्या हो रहा है। हवा गाँव की गलियों में घूमते हुए ऐसे शोर कर रही थी मानो वह नाराज हो। किसान अपने खेतों में खड़े होकर चिंतित थे क्योंकि हवा ने उनकी फसलों को झुकाकर रख दिया था। दुकानदार अपनी दुकानें बंद करके बैठ गए थे ताकि उनकी चीजें उड़ न जाएँ।
धीरे-धीरे गाँव में अफरा-तफरी फैलने लगी। लोग बार-बार आसमान की ओर देखते और सोचते कि आखिर यह कैसी अनियंत्रित हवा है। कुछ बुजुर्ग लोग कहने लगे कि यह हवा किसी अदृश्य शक्ति का इशारा है। बच्चे डर से रोने लगे और महिलाएँ घरों के दरवाजे मजबूती से बंद करने लगीं। लेकिन हवा को मानो किसी की परवाह ही नहीं थी। वह अपने साथ पत्तियाँ, मिट्टी, परिंदों के पंख और सूखे फूल उड़ाती जा रही थी।
शाम के करीब आते-आते हवा और भी तेज हो गई। गाँव का तालाब उसके घूमने की वजह से लहरों से भर गया था। पेड़ों की शाखाएँ एक-दूसरे से टकरा रही थीं। कुछ लोग समझ नहीं पा रहे थे कि कहीं यह किसी बड़ी मुसीबत की निशानी तो नहीं है। तभी आसमान में एक अनोखी चमक दिखाई दी। वह चमक धीरे-धीरे बढ़ने लगी, और कुछ ही सेकंड में आसमान सुनहरे रंग से चमक उठा। गाँव के लोग डर और उम्मीद के बीच खड़े हुए आसमान को देखते रहे।
उस चमक के बीच से एक बेहद खूबसूरत आकृति उतरी। उसके बाल सुनहरी रोशनी से दमक रहे थे और उसके कदम हवा पर ही पड़ते दिखाई दे रहे थे। वह थी सुनहरी हवा की रानी। उसके आते ही हवा अचानक शांत होने लगी। उसकी आँखों में करुणा और चेहरे पर शांति थी। वह धीरे-धीरे गाँव के बीच उतरी और उसके पैरों के धरती छूते ही चारों ओर एक कोमल रोशनी फैल गई।
रानी ने गाँव वालों को देखते हुए कहा कि हवा किसी के खिलाफ नहीं थी, वह सिर्फ खो गई थी। उसने बताया कि हवा दुनिया भर में घूमती रहती है लेकिन इस बार वह दिशा और संतुलन भूल गई, जिसके कारण वह अनियंत्रित हो गई। हवा की रानी ने अपने दोनों हाथ आसमान की ओर उठाए और एक नरम सुनहरी किरण सीधी हवा में समा गई। हवा ने जैसे ही यह रोशनी महसूस की, उसकी गति धीमी हो गई और वह फिर से शांत, हल्की और प्यारी बन गई।
अब हवा फिर से पहले जैसी मधुर थी। लोग राहत की साँस लेने लगे, दुकानदार अपनी दुकानें खोलने लगे, किसान खेतों की हालत देखने गए और बच्चे बाहर खेलना शुरू कर दिए। सबको यह बात समझ आ गई कि प्रकृति भी एक जीवित शक्ति है और उसकी देखभाल जरूरी है। उस दिन से गाँव में जब भी हवा तेज बहती, लोग मुस्कुराकर कहते कि सुनहरी हवा की रानी सब देख रही हैं और सब ठीक हो जाएगा।
शिक्षा: प्रकृति का संतुलन बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। जब हम प्रकृति का सम्मान करते हैं, तो वह हमेशा हमारा साथ देती है।