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चाँद की रोशनी वाली छोटी परी – Moonlight Fairy

परी कथाएँ

चाँद की रोशनी वाली छोटी परी

सिया हर रात अपनी खिड़की के पास बैठकर आसमान को देखती थी। उसके कमरे की दीवारों पर हल्की सफेदी सी चमक फैल जाती थी और लगता था जैसे कहीं दूर चाँद की किरणें उसके लिए कोई छोटा सा रास्ता बना रही हों। सिया को यह चमक बहुत पसंद थी क्योंकि उसे लगता था कि यह रोशनी सिर्फ उसके लिए आती है। और सच भी यही था। चाँद के ऊपर रहने वाली एक छोटी चाँद-परी हर रात अपनी चमक भेजकर सिया को नींद में सुरक्षित रखती थी। परी सिया को कभी दिखाई नहीं देती थी, लेकिन उसकी चमक से जुड़े छोटे संकेत सिया को महसूस हो जाते थे। कभी खिड़की पर हल्का सा चांदी जैसा दाग बन जाता, कभी कमरे में हवा हल्की ठंडी हो जाती, और कभी चाँद की चमक एक पल के लिए ज्यादा तेज लगती। सिया जानती थी कि कोई उसके लिए यह सब कर रहा है। वह अक्सर सोचती, अगर कभी चाँद-परी से मिल पाती तो उसे जरूर धन्यवाद कहती।

एक रात सिया ने देखा कि कमरे में पहले जैसी चमक नहीं थी। उसकी खिड़की पर चांदी जैसा दाग भी नहीं बना था। हवा भी शांत थी। ऐसा लग रहा था जैसे चाँद की रोशनी कहीं खो गई हो। उसने खिड़की खोलकर आसमान की तरफ देखा। चाँद तो था, लेकिन उसकी चमक बहुत कम हो चुकी थी। साधारण रातों की तरह वो पूरे आसमान में फैल नहीं रही थी। सिया को अचानक चिंता हुई। उसे लगा कि शायद चाँद-परी ठीक नहीं है। अगले कई दिनों तक रोशनी धीरे-धीरे कमजोर होती गई। सिया को यह बात बेचैन कर रही थी। आखिर ऐसा हो क्या रहा है।

एक रात जब चमक लगभग गायब होने लगी, तो खिड़की से एक हल्की आवाज आई। सिया ने देखा कि चाँद के बिलकुल किनारे पर एक छोटी सी आकृति बैठी है। पहली बार वह चाँद-परी को देख रही थी। परी की आंखें थकी हुई थीं, और उसकी गुलाबी रोशनी फीकी हो चुकी थी। वह सिया को देख मुस्कुराई, पर उसकी मुस्कान में पहले वाली चमक नहीं थी। सिया खिड़की पर झुक गई और बोली, तुम इतनी कमजोर क्यों लग रही हो। चाँद-परी ने धीमी आवाज में कहा, मेरी रोशनी इसलिए कम हो रही है क्योंकि पृथ्वी पर बच्चों में दयालुता बहुत घट रही है। मैं चाँद से रोशनी तभी ला सकती हूँ जब पृथ्वी पर बच्चे अच्छा काम करते हैं, एक-दूसरे की मदद करते हैं, और मन साफ रखते हैं। लेकिन अब कई बच्चे छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाते हैं, दोस्तों से झगड़ते हैं, और बिना सोचे बोल देते हैं। जब दयालुता कम होती है, तो चाँद की चमक भी कम हो जाती है। और मैं उसी चमक से जीवित रहती हूँ।

सिया यह सुनकर चौंक गई। उसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी दुनिया में किए गए छोटे काम चाँद की रोशनी को प्रभावित कर सकते हैं। वह कुछ पल तक चुप रही, फिर बोली, अगर मैं मदद करूँ तो क्या तुम्हारी चमक वापस आ सकती है। परी ने सिर हिलाया और कहा, हाँ, लेकिन सिर्फ तुम नहीं। तुम्हें दूसरों को भी समझाना होगा कि अच्छा काम करने से सिर्फ लोग ही नहीं बदलते, प्रकृति भी खुश होती है।

सिया ने धीरे से पूछा, अब क्या हम रोज़ मिलेंगे। चाँद-परी ने कहा, मैं तुम्हारे साथ हमेशा रहूँगी, लेकिन तुम मुझे रोज़ नहीं देख पाओगी। यह चमक ही मेरा संकेत होगी कि तुम सही काम कर रही हो। और जब भी रोशनी कम होगी, समझ लेना कि दुनिया को तुम्हारी जरूरत है। इतना कहकर परी चाँद में लौट गई और रोशनी पूरे आसमान में फैल गई।

उस दिन के बाद सिया हमेशा दयालु बनी रही। उसने कभी यह काम इस सोच से नहीं किया कि कोई देख रहा है, बल्कि इसलिए कि यह सही है। और हर रात चाँद की चमक उसे याद दिलाती रही कि छोटी-सी दयालुता भी किसी की दुनिया रोशन कर सकती है।

शिक्षा: छोटी-छोटी दयालु आदतें दुनिया को बेहतर बना सकती हैं और उनका असर हमारे आसपास की हर चीज़ पर पड़ता है।

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