रात का संगीत
एक शांत पहाड़ी बस्ती थी जहाँ दिन ढलते ही अजीब सा सन्नाटा फैल जाता था। लोग जल्दी-जल्दी अपने घरों के दरवाजे बंद कर लेते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि रात के साथ एक अनजाना डर भी घूमता है। हवा चलती तो खिड़कियाँ हिलने लगतीं, पत्तों की सरसराहट किसी फुसफुसाहट जैसी लगती और बच्चे जल्दी सोने की कोशिश करते ताकि वे डर महसूस न करें। इस बस्ती में छोटी रीना भी रहती थी, जो भले ही बहादुर थी, लेकिन उसे भी रात का यह अजीब माहौल अच्छा नहीं लगता था। उसे लगता था कि काश कोई तरीका होता जिससे रात भी उतनी ही अच्छी लगती जितनी सुबह की धूप।
एक दिन, रीना अपने घर की छत पर बैठी आसमान देख रही थी। चाँद पूरा और चमकीला था, जैसे किसी ने उसे साफ करके टांग दिया हो। अचानक उसे बहुत हल्की सी आवाज सुनाई दी, जैसे किसी ने दूर कहीं चाँदी की घंटी बजाई हो। रीना ने ध्यान से सुना, आवाज बढ़ती गई और उसके साथ एक मधुर झंकार जैसे कोई धुन तैर रही हो। वह हैरान थी क्योंकि बस्ती में ऐसा कोई वाद्य नहीं था जो इतनी नाजुक, इतनी सुंदर आवाज पैदा कर सके।
रीना छत की मुंडेर से झाँककर आसपास देखने लगी। तभी चाँदनी के बीच एक सफेद चमक उठी। धीरे-धीरे वह चमक एक शक्ल में बदलने लगी। वह एक परी थी, हल्के नीले और सफेद रंग के पंख, चाँदी जैसे बाल और उसकी हथेली में एक छोटा चमकीला तारों जैसा वाद्य, जो किसी साज़ जैसा दिख रहा था। वह हवा में तैरते हुए जैसे ही आगे बढ़ी, उसके वाद्य से नाजुक चाँदनी सुर निकलने लगे।
रीना ने अपनी साँस रोक ली। उसने ऐसे सुंदर संगीत कभी नहीं सुने थे। परी मुस्कुराई और उसकी तरफ देखती हुई बोली, “तुम सुन सकती हो, यह अच्छा है। हर कोई इसे नहीं सुन पाता।” रीना धीरे से बोली, “आप कौन हैं?” परी करीब आई और बोली, “मैं रात की संगीत-परी हूँ। मैं चाँदनी से संगीत बनाती हूँ ताकि दुनिया रात से डरे नहीं। लेकिन यह बस्ती कई सालों से डर में डूब गई है, इसलिए मेरा संगीत यहाँ पहुँच नहीं पा रहा था। पर आज चाँद बहुत साफ है, इसलिए मैंने सोचा फिर से कोशिश करूँ।”
रीना उत्साहित हो गई। उसने पूछा, “क्या आपका संगीत डर मिटा देता है?” परी ने सिर हिलाया, “हाँ, क्योंकि जब लोग खूबसूरत धुनें सुनते हैं, तो उनके दिल के अंधेरे हल्के हो जाते हैं।” यह सुनकर रीना बोली, “तो क्या आप आज हमारी बस्ती के लिए बजाएँगी?” परी मुस्कुराई, “यही तो आई हूँ। लेकिन मुझे किसी एक के विश्वास की जरूरत थी। लगता है वह तुम हो।”
परी धीरे-धीरे ऊपर उठी। चाँदनी उसके पंखों पर गिरकर चमकने लगी। उसने अपना छोटा तारों वाला वाद्य हाथ में लिया और हवा में एक लंबा चक्कर लगाया। फिर उसने बजाना शुरू किया। पहले सुर बिल्कुल हल्के थे, जैसे हवा में बर्फ पिघल रही हो। फिर वे गूँजने लगे, पेड़ों के बीच से गुजरते हुए घरों की छतों पर उतरते, गलियों में फैलते और खिड़कियों के बीच से अंदर पहुँचते। संगीत जैसे चाँदनी की एक नदी बनकर बह रहा था। उसकी लहरें दिलों के भीतर तक उतर रहीं थीं।
रीना ने दादी से पूछा, “क्या रात हमेशा अच्छी हो सकती है?” दादी ने मुस्कुराते हुए कहा, “अगर मन में संगीत हो, तो कोई रात अंधेरी नहीं रहती।” रीना को यह बात समझ आ गई। उसने महसूस किया कि परी ने सिर्फ संगीत नहीं दिया, बल्कि बस्ती को एक नया नजरिया भी दिया।
बस्ती वालों ने उस दिन यह तय किया कि वे हर रात थोड़ी देर साथ बैठकर बातें करेंगे, गीत गाएंगे या कहानियाँ सुनेंगे ताकि डर की छाया कभी वापस न आए। रीना जब भी अपने हाथ में चाँदनी का कण देखती, उसे लगता कि परी कहीं दूर से मुस्कुराकर उसे देख रही है। और उसे यकीन था कि अगर कभी बस्ती पर फिर से डर उतरेगा, तो रात का संगीत जरूर लौटकर आएगा।