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रामन बने राजविदूषक – 5

तेनालीराम की कहानियाँ

रामन बने राजविदूषक

एक दिन उत्तर भारत से एक जादूगर राजदरबार में आया। उसने अनेक जादू के करतब दिखाए जिनसे राजा कृष्णदेव राय प्रसन्न हुए। उसने एक अद्भुत करतब प्रदर्शन के दौरान दिखाया। यह था अपना सिर धड़ से अलग करने का जादू। उसने दरबारियों को चुनौती दी कि क्या विजयनगर में कोई यह जादू कर सकता है। परंतु किसी में हिम्मत नहीं हुई। राजा निराश हुए। तभी रामन आगे आए। उन्होंने राजा और दर्शकों को प्रणाम किया और जादूगर के पास गए।

रामन ने जादूगर को चुनौती दी कि क्या तुम आंखें खोलकर वह करतब कर सकते हो जो मैं आंखें बंद करके करूंगा। जादूगर को रामन के प्रस्ताव में कुछ असाधारण नहीं लगा। उसने सोचा कि रामन जो भी आंखें बंद करके करेगा मैं आंखें खोलकर कर सकता हूं। इस प्रकार उसने चुनौती स्वीकार कर ली। रामन एक थैला लाए जो मिर्च पाउडर से भरा था। आंखें बंद करके उन्होंने उस पाउडर को अपनी आंखों पर छिड़का। वह कुछ देर स्थिर खड़े रहे। फिर उन्होंने सारा पाउडर साफ किया और आंखें खोलीं।

इसके बाद रामन मिर्च पाउडर से भरा दूसरा थैला लाए और जादूगर को सौंप दिया। उन्होंने जादूगर से आंखें खोलकर यही करतब करने को कहा। जादूगर वहां से भागने का प्रयास करने लगा। वहां एकत्र लोगों ने उसका उपहास उड़ाया। निराश जादूगर ने अपने कार्यक्रम समाप्त किए और घर लौट गया। राजा उत्साहित हो गए। तेनाली रामन की बुद्धिमत्ता और चतुराई सफल हुई। राजा ने रामन को अपना दरबारी विदूषक नियुक्त किया। वहां उपस्थित जनता ने रामन को बधाई दी। दरबारी पुरोहित ताताचार्य भी वहां मौजूद थे और उन्होंने रामन की प्रशंसा की परंतु वह मन ही मन ईर्ष्या से भर गए।

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