सपनों का बाज़ार
रात के शांत आसमान में छिपा एक अनोखा स्थान था जिसे बच्चे सपनों का बाज़ार कहते थे। यह बाज़ार सिर्फ उन्हीं बच्चों को दिखाई देता था जिनका दिल साफ हो और जिनके मन में जादू पर यकीन हो। वहां रंग-बिरंगे सपने काँच की छोटी बोतलों में चमकते रहते थे, और हर बोतल से हल्की सी रोशनी निकलती थी. इस बाज़ार की रखवाली करती थी एक प्यारी परी जिसका नाम था चांदरी. चांदरी की जिम्मेदारी थी कि वह दुनिया के सभी बच्चों के तकिये के पास जाकर उन्हें अच्छे सपने दे. वह हर रात आसमान में उड़ते हुए सपनों की बोतलें लेकर निकलती और उन्हें उन बच्चों के कमरे में रख देती जो दिन भर अच्छे काम करते थे और जिनका मन दयालु होता था.
चांदरी को यह काम बेहद पसंद था क्योंकि उसे बच्चों की मुस्कान सबसे ज्यादा प्यारी लगती थी. एक रात, जब सब तारे आसमान में चमक रहे थे, एक बच्ची रिया अपनी दादी की गोद में लेटी थी. दादी उसे सपनों के बाज़ार की कहानियां सुनाया करती थीं, और रिया हमेशा बड़े ध्यान से सुना करती. उसे इस जादुई बाज़ार को देखने की बहुत इच्छा थी पर उसे पता था कि यह सिर्फ खास बच्चों को दिखता है. रिया का मन बहुत कोमल था और वह हर किसी की मदद करने में यकीन रखती थी. उसी रात, जब रिया अपनी आंखें बंद करके सोने लगी, तभी अचानक उसके कमरे में हल्की सी चमक नजर आई. वह चमक खिड़की के पास से अंदर आई और कमरे में छोटे-छोटे सितारों की तरह फैल गई.
यह तो चांदरी परी थी. वह सपनों की बोतल लेकर आई थी. लेकिन कुछ अजीब हुआ. जैसे ही चांदरी बोतल रखने लगी, कमरे की हवा भारी हो गई और खिड़की के बाहर काले बादल उमड़ने लगे. ये वही डरावने बादल थे जो सपनों के बाज़ार को ढूंढते रहते थे ताकि वहां के अच्छे सपनों को खराब कर सकें. चांदरी ने घबराकर बोतल छुपाई, मगर बादलों ने जल्दी ही उसे देख लिया. एक जोरदार हवा के साथ बादलों ने घर को घेर लिया. रिया की नींद खुल गई और उसने चांदरी को मुश्किल में देखा.
वह समझ गई कि यह कोई साधारण बादल नहीं बल्कि डरावने बादल हैं जो बच्चों के सपने छीन लेते हैं. रिया ने तुरंत अपने दिल की हिम्मत जुटाई और खिड़की खोल दी. हवा भले तेज थी पर रिया पीछे नहीं हटी. उसने चांदरी से कहा कि वह कमरे की रोशनी बढ़ा दे. चांदरी के पास एक छोटी छड़ी थी जिससे वह जादुई रोशनी बना सकती थी. लेकिन उस वक्त वह बहुत डर चुकी थी. रिया ने उसका हाथ पकड़ा और धीरे से कहा कि जब तक कोई तुम्हारे साथ है, डर को जीतने की जरूरत नहीं. रिया की बात सुनकर चांदरी ने खुद को संभाला और अपनी छड़ी आसमान की ओर उठाई. जैसे ही छड़ी से चमकदार रोशनी निकली, रिया ने कमरे के अंदर रखे छोटे-छोटे रात के दीपक भी जला दिए.
इतनी रोशनी देखकर डरावने बादल पीछे हटने लगे. वे रोशनी को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे. बादल जितना पास आते, रिया उतनी ही रोशनी की दिशा बदल देती. इस teamwork ने बादलों को कमजोर कर दिया. आखिरकार, एक तेज चमक के साथ बादलों का साया पूरी तरह हट गया और आसमान फिर से साफ हो गया. चांदरी अब भी हैरान थी कि इतनी छोटी बच्ची ने इतनी बड़ी मदद की. उसने रिया को बताया कि कभी-कभी वाह्य ताकतों से ज्यादा मजबूत वह हिम्मत होती है जो दिल में रहती है.
रिया मुस्कुराई और बोली कि डर से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका है किसी का साथ देना. इस पर चांदरी ने रिया को सपनों के बाज़ार का असली दृश्य दिखाने का फैसला किया.
उसने अपनी जादुई छड़ी घुमाई और कमरे के बीच में धीरे-धीरे एक चमकीला दरवाजा बन गया. रिया ने जब उस दरवाजे से कदम रखा तो उसने खुद को आसमान में तैरते हुए एक खूबसूरत बाज़ार में पाया. वहां हर बोतल में अलग रंग का सपना रखा था. कुछ सपने नीले थे जैसे शांत झील, कुछ पीले जैसे सुबह की धूप, कुछ हरे जैसे खुली घास. वहां छोटे-छोटे स्टॉल भी थे जहां सपनों को चमकाने, खुशबू देने और बच्चों की भावनाओं के अनुसार उन्हें सजाने का काम होता था.