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हाथी और चूहों का हुजूम – The Elephant and the Mice

जानवरों की कहानियाँ

हाथी और चूहों का हुजूम 

जंगल के बीचोंबीच एक पुराना रास्ता था जिसे हर दिन कई जानवर इस्तेमाल करते थे। उसी रास्ते के पास एक सूखा तालाब था, जिसके किनारों पर चूहों का एक बड़ा झुंड रहता था। यह जगह उनके लिए सुरक्षित थी क्योंकि आसपास घास थी, पेड़ों के खोखले तनों में उनके बिल थे और खाने-पीने की चीजें भी आसानी से मिल जाती थीं। चूहे शांत स्वभाव के थे और आपस में मिलकर रहते थे। उनके नेता को सभी बहुत मानते थे क्योंकि वह समझदार था और हमेशा चूहों की सुरक्षा का ध्यान रखता था। चूहों की दुनिया छोटी थी लेकिन आपसी साथ ने उसे मजबूत बनाया था।

उसी जंगल में एक विशाल हाथी भी रहता था। वह अपने झुंड से थोड़ा अलग रहता था और हर सुबह पास के तालाब की ओर पानी पीने जाता था। उसका कद इतना बड़ा था कि जब वह पेड़ों के बीच से गुजरता तो शाखाएं नीचे झुक जाती थीं। वह किसी को नुकसान पहुँचाने के इरादे से कुछ नहीं करता था, लेकिन उसका भारी शरीर कई बार छोटे जीवों के लिए परेशानी बन जाता था। तालाब के पास बने चूहों के घर उसे कभी दिखाई नहीं देते थे और जब भी वह वहाँ से गुजरता, उसके पैरों के नीचे कई छोटे बिल दब जाते थे। चूहे तो बच जाते, लेकिन उनके घर टूट जाते। इससे चूहों में डर और परेशानी बढ़ती जा रही थी।

एक दिन सुबह-सुबह जब सूरज की रोशनी पेड़ों के बीच से छनकर जमीन पर पड़ रही थी, हाथी उसी पुराने रास्ते से तालाब की ओर बढ़ा। रास्ता बिल्कुल शांत था, केवल पत्तियों की हल्की सरसराहट सुनाई दे रही थी। चूहों का हुजूम अपने कामों में लगा था। कोई भोजन ढूंढ रहा था, कोई बच्चे चूहों को दौड़ना सिखा रहा था, कुछ आराम कर रहे थे। तभी एक गहरी और भारी आवाज के साथ जमीन कांपी। चूहों ने देखा कि हाथी फिर उनकी ओर आ रहा है। सब घबराकर भागने लगे। कुछ तंग सुराखों में घुस गए, कुछ पेड़ों के पीछे जा छिपे। चूहों के नेता ने सभी को शांत रहने को कहा और स्थिति पर नजर रखी। हाथी अनजान था कि उसके हर कदम से छोटे जीव कितनी परेशानी में आ जाते हैं। जैसे ही वह आगे बढ़ा, कई बिल उसके पैरों के नीचे आकर बर्बाद हो गए। बच्चों के कमरे, मांद, जो उन्होंने मेहनत से बनाए थे, सब मिट गए।

शाम को जब खतरा टल गया, सभी चूहे अपने टूटे घरों को देखकर उदास हो गए। उनके चेहरे पर थकान और डर था। उनके मन में शिकायत भी थी, लेकिन वे जानते थे कि हाथी की नीयत खराब नहीं है। समस्या यह थी कि उसे पता ही नहीं था कि उसके कदमों से क्या हो रहा है। चूहों के नेता ने पूरी रात सोचा कि क्या किया जाए। वह जानता था कि हाथी से उलझना ठीक नहीं, लेकिन किसी तरह उसे समझाना जरूरी था। उसने तय किया कि अगले दिन वह हाथी से बात करेगा।

अगली सुबह, सूरज की पहली किरणों के साथ चूहों का नेता अपने कुछ साथियों के साथ हाथी से मिलने आया। हाथी तालाब की ओर जा रहा था, और इन छोटे जीवों को देखकर रुका। चूहे उसके पैरों के पास खड़े थे, उनकी आवाज बहुत धीमी थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत करके कहा कि उन्हें बात करनी है। हाथी थोड़ा नीचे झुक गया ताकि वह उनकी बात सुन सके। चूहों के नेता ने विनम्रता से कहा कि वे उसकी इज्जत करते हैं, लेकिन रोज उसके पैर उनके घरों को कुचल देते हैं और इससे उनके परिवार तकलीफ में हैं। हाथी यह सुनकर हैरान हुआ। उसे असल में कुछ पता नहीं था। उसने ध्यान से उनकी बातें सुनीं और कहा कि वह कभी किसी को नुकसान पहुँचाना नहीं चाहता। उसने माफी मांगी और भरोसा दिलाया कि वह अब दूसरी तरफ से जाएगा ताकि चूहों को परेशानी न हो। चूहों ने राहत की सांस ली। उन्होंने हाथी को धन्यवाद कहा और अपने बिलों की मरम्मत में जुट गए।

कई हफ्ते बीत गए। हाथी अपना रास्ता बदल चुका था और अब चूहों को कोई दिक्कत नहीं होती थी। जंगल शांत था और हर जीव अपने तरीके से खुश था। चूहे भी पहले की तरह मिलजुल कर रहते थे और हाथी भी उन्हें याद रखता था। उसे उनकी विनम्रता अच्छी लगी थी और वह हमेशा उनसे मिलते समय मुस्कुराता था। चूहे भी हाथी को देखकर खुश होते थे क्योंकि उसने उनके लिए समझदारी दिखाई थी।

एक दिन मौसम अचानक बदल गया। बादल घिर आए और तेज हवा चलने लगी। जंगल के दूसरे हिस्से में बारिश शुरू हो गई। हाथी तालाब की ओर जा रहा था लेकिन रास्ता फिसलन भरा था। जैसे ही वह एक ढलान से गुजरा, जमीन उसके पैरों के नीचे से खिसक गई। मिट्टी ढहने लगी और हाथी एक गहरे गड्ढे में जा गिरा। उसने बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन गड्ढा बहुत गहरा था। उसका भारी शरीर मिट्टी में धंसता जा रहा था। उसने जोर लगाकर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन हर बार फिसल जाता। अपनी पूरी ताकत लगाने के बावजूद वह निकल नहीं पा रहा था। जंगल में यह जगह सुनसान थी। वह मदद के लिए पुकारता रहा, लेकिन इतनी दूर कोई सुन नहीं पा रहा था।

शाम होने लगी। चूहों के कुछ साथी उस रास्ते से गुजर रहे थे, जहां से अब हाथी नहीं गुजरता था। अचानक उन्होंने गड्ढे से आती भारी आवाज सुनी। जैसे ही वे पास गए, उन्होंने देखा कि हाथी फंसा हुआ है और उसकी हालत खराब है। चूहे दौड़कर अपने नेता को बुलाने गए। कुछ ही देर में पूरा चूहों का हुजूम इकट्ठा हो गया। नेता ने स्थिति को समझा और तुरंत कहा कि हम हाथी की मदद करेंगे। यह वही हाथी था जिसने उनकी परेशानी समझी थी। अब उनका फर्ज था कि वे भी उसके लिए कुछ करें।

सैकड़ों चूहे गड्ढे के किनारे फैल गए। कुछ चूहे पास के पेड़ों के नीचे खोदने लगे ताकि मिट्टी हल्की हो जाए और हाथी ऊपर चढ़ सके। कुछ चूहे मिट्टी को हटाकर रास्ता चौड़ा करने लगे। उनकी संख्या इतनी ज्यादा थी कि काम तेजी से आगे बढ़ा। चूहे छोटे थे, लेकिन उनके लगातार और सामूहिक प्रयास से गड्ढे का किनारा धीरे-धीरे मजबूत और चढ़ने लायक होता गया। हाथी ने हिम्मत जुटाई और चूहों के निर्देशों के अनुसार धीरे-धीरे चढ़ना शुरू किया। चूहे हर तरफ से उसे सुरक्षित रास्ता दिखाते रहे। कुछ देर बाद हाथी गड्ढे से बाहर निकल आया। वह थका हुआ था, लेकिन सुरक्षित था।

हाथी की आंखों में राहत और आभार था। उसने चूहों की ओर देखा और शांत स्वर में कहा कि आज उसे समझ आ गया कि छोटे जीव भी बड़े काम कर सकते हैं। चूहों का नेता मुस्कुराया और कहा कि जब हम मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं रहती। उस दिन चूहों और हाथी के बीच एक गहरा रिश्ता बन गया। वे एक-दूसरे का सम्मान करने लगे और जंगल में यह कहानी फैल गई कि कैसे चूहों ने अपनी मेहनत और एकता से एक विशाल हाथी की जान बचाई।

जंगल में अब वह रास्ता हमेशा सुरक्षित माना जाता था, क्योंकि हर कोई जानता था कि वहां रहने वाले चूहे कभी किसी को मुसीबत में नहीं छोड़ते। हाथी भी रोज उस रास्ते से गुजरते समय चूहों का अभिवादन करता था और चूहे भी खुशी से उसका स्वागत करते थे। दोनों के बीच भरोसा और सम्मान की एक नई मिसाल बन गई, जिसे जंगल के सभी जीव दूसरों के प्रति दयालु होने की सीख की तरह देखते थे।

शिक्षा: छोटे का भी बड़ा महत्व होता है और हर जीव की कीमत होती है।

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