उड़ती हुई किताब
एक शांत दोपहर थी जब नील अपने कमरे में बैठा था। बारिश अभी-अभी थमी थी और खिड़की के पास रखी पुरानी लकड़ी की मेज पर एक बड़ी, धूल भरी किताब पड़ी थी। यह किताब नील को अटारी में मिली थी और उस पर किसी भी तरह का नाम या लेखक नहीं लिखा था।
बस हल्की सी सुनहरी चमक थी जो उसे कुछ रहस्यमयी बनाती थी। नील ने किताब को छुआ तो उसकी उंगलियों के नीचे एक नन्ही सी गर्माहट महसूस हुई। पहले उसे लगा कि शायद धूप की वजह से ऐसा है, लेकिन जैसे ही उसने किताब खोली, पन्नों में हल्की हवा बहने लगी और कमरे की सारी चीजें एक क्षण के लिए हिल उठीं। नील को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन उसकी उत्सुकता बढ़ती गई। किताब के पन्नों पर कोई शब्द नहीं थे, बस सफेद खाली पन्ने। वह हैरान होकर पन्ने पलटता गया, लेकिन हर पन्ना खाली ही था। फिर अचानक कमरे में एक हल्की चमक फैली और किताब के बीच से एक बादल जैसा धुआं उठा। नील डर गया, लेकिन किताब ने खुद को हवा में उठाते हुए उसके सामने तैरना शुरू कर दिया। किताब ने जैसे किसी अदृश्य आवाज में कहा, यह आवाज उसके मन में गूंज रही थी, बाहर नहीं, “नील,
मैं तुम्हें कथाओं की दुनिया दिखाने आई हूं। तैयार हो?” नील ने सिर हिलाया। किताब खुली और पन्ने तेजी से घूमने लगे। फिर एक पल में किताब ने अपने पन्नों से रोशनी निकाली और नील उसी रोशनी में खिंचता चला गया।
नील ने खुद को एक विशाल जंगल में पाया। पेड़ सामान्य पेड़ों की तरह नहीं थे, वे रंग-बिरंगी रोशनी छोड़ रहे थे। हवा में तितलियाँ चमक रही थीं, जैसे उनके पंखों में छोटे सितारे जड़े हों। दूर से बच्चे जैसी हंसी सुनाई दे रही थी, लेकिन कोई दिखाई नहीं दे रहा था। अचानक एक छोटी परी उसके सामने आई। वह नीले रंग की चमकदार पोशाक में थी और उसकी मुस्कान बहुत प्यारी थी। उसने कहा, “मैं लुमा हूं, और तुम कथाओं की पहली दुनिया में हो। यह सपनों का जंगल है जहाँ हर पेड़ एक कहानी छुपाए बैठा है।” नील ने आसपास देखा तो हर पेड़ अलग दिख रहा था। एक पेड़ की छाल पर एक किला बना था, दूसरे पर एक जहाज जैसा चित्र, तीसरे पर एक छोटा सा गांव।
परी ने नील का हाथ पकड़ा और एक पेड़ की ओर ले गई जिसके ऊपर एक खुले दरवाजे जैसा निशान था। उसने दरवाजा खटखटाया और पेड़ धीरे-धीरे खुलने लगा। उसके अंदर एक छोटा कमरा था जिसमें लकड़ी की कुर्सियाँ और एक पुराना दीपक रख था। जैसे ही नील कमरे में घुसा, उसके सामने एक साहसी लड़की की कहानी जीवंत होने लगी, जो समुद्रों को पार कर नए द्वीप खोज रही थी। नील उस कहानी के बीचों-बीच खड़ा था, जैसे वह किसी किताब में नहीं, बल्कि सच में उस दुनिया में पहुंच गया हो। उसने महसूस किया कि यहां हर कहानी को देखा, सुना और महसूस किया जा सकता है, जैसे वह खुद उसका हिस्सा हो।
लुमा ने नील को अगले पेड़ की ओर ले जाया जहाँ एक चमकदार गेंद तैर रही थी। उसने उसे छूने को कहा। जैसे ही नील ने गेंद छुई, वह एक पहाड़ी दुनिया में पहुंच गया जहाँ जानवर बात करते थे। वहाँ एक खरगोश उसकी ओर भागता हुआ आया और बोला कि उसका दोस्त एक गुफा में फंसा है।
अचानक जंगल की रोशनी धुंधली होने लगी और किताब ने अपने पन्ने बंद किए। नील को फिर से वही गर्माहट महसूस हुई और अगले ही पल वह अपने कमरे में था। किताब मेज पर शांत पड़ी थी। लेकिन अब उसके पन्नों पर शब्द दिखाई दे रहे थे। हर पन्ने पर वही कहानियाँ लिखी थीं जो उसने देखी थीं। नील ने किताब को धीरे से बंद किया। वह समझ चुका था कि कहानियाँ सिर्फ मज़ा देने के लिए नहीं होतीं, वे सीख और समझ भी देती हैं। उसने किताब को सावधानी से अपनी अलमारी में रखा, क्योंकि अब यह सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि उसका रहस्य और साथी बन चुकी थी।