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सोने वाली चिड़िया और चाँदी का पेड़ | The Golden-Sleep Bird and the Silver Tree

परी कथाएँ

सोने वाली चिड़िया और चाँदी का पेड़

रात की हल्की ठंडक और दूर से आती सरसराहट के बीच एक पुरानी घाटी में एक अजीब सा चाँदी का पेड़ खड़ा था। उसकी चमक दिन में तो दिखती ही थी, पर रात में उसकी टहनियों से निकलती हल्की रोशनी उसे और भी रहस्यमयी बना देती थी। लोग कहते थे कि यह पेड़ किसी अनोखी चीज़ की तलाश में है, लेकिन किसी को पता नहीं था कि वह क्या चाहता है।

इस पेड़ का दिल बहुत दयालु था, पर वह अकेला था। सालों से उसके पत्ते धीरे-धीरे झड़ते जा रहे थे। पहले लोग सोचते थे कि यह मौसम का असर है, फिर किसी ने कहा कि पेड़ उदास है, और उदासी उसकी ताकत को कमजोर कर रही है। सच भी यही था। चाँदी का पेड़ चाहता था कि कोई उसके पास रहे, उससे बात करे, उसकी सुन सके।

एक रात जब आसमान में बादल नहीं थे और चाँद अपनी नरम रोशनी फैला रहा था, तभी हवा के साथ एक बहुत हल्की सी सोने वाली चिड़िया उड़कर उस घाटी में आयी। उसका रंग ऐसा था जैसे सूरज की पहली किरण उसके पंखों में बस गयी हो। वह बहुत छोटी थी, पर उसकी उपस्थिति पूरी घाटी का माहौल बदल देती थी।

चिड़िया का नाम सुमी था। उसका स्वभाव खुशमिजाज था और वह अक्सर रात में गाना गाती थी, क्योंकि वह मानती थी कि रात सबसे शांत समय होता है, जब उसका गाना किसी के दिल में उतर सकता है।

उस रात जब सुमी उड़ते-उड़ते थक गयी, उसने चमकता हुआ पेड़ देखा और सोचा कि शायद यह कोई बड़ा दीया होगा। लेकिन जैसे ही वह पास गयी, उसे पता चला कि यह तो एक पेड़ है जो इंसानी पेड़ों से बिल्कुल अलग है।

“तुम कौन हो?” चाँदी के पेड़ ने बहुत धीमी आवाज़ में पूछा।

सुमी चौंकी, फिर मुस्कुराकर बोली, “मैं सुमी हूँ। तुम चमक रहे हो, इसलिए देखना चाहती थी।”

पेड़ ने कहा, “मैं चमकता तो हूँ, पर उतना नहीं जितना पहले चमकता था। मेरे पत्ते गिर रहे हैं। मुझे लगता है कि मैं अब उतना मजबूत नहीं हूँ।”

सुमी ने उसकी शाखाओं को देखा। कुछ पत्ते ज़मीन पर पड़े थे, कुछ सूखने लगे थे।

उसने पूछा, “क्या किसी ने तुम्हारी मदद की?”

पेड़ ने जवाब दिया, “तुम पहली हो जिसने मुझसे बात की है। मैं किसी की तलाश में था जो मेरी रातों को थोड़ी गर्माहट दे सके।”

सुमी ने एक पल सोचा, फिर बोली, “मैं रात में गाती हूँ। शायद मेरा गीत तुम्हें अच्छा लगे।”

पेड़ ने हल्के से सिर हिलाया।

फिर सुमी ने अपनी आंखें बंद कीं और गाना शुरू किया। उसकी आवाज इतनी साफ थी कि हवा तक रूक सी गयी। गाना धीरे-धीरे घाटी में फैल गया। जैसे ही उसकी मधुर धुन चाँदी के पेड़ तक पहुँची, अचानक उसकी शाखाएँ हल्की सी कांपीं।

पेड़ ने महसूस किया कि उसके भीतर कोई नरम सी गर्मी फैल रही है। वह एक अजीब सा अनुभव था जिसे उसने सालों से महसूस नहीं किया था।

सुमी का गीत जैसे-जैसे आगे बढ़ा, सूखे पत्ते हरे होने लगे। जमीन पर पड़े पत्ते चमककर वापस टहनियों पर चिपक गए। कुछ ही क्षणों में चाँदी का पेड़ फिर से जवान, ताजा और चमकीला दिखने लगा।

पेड़ ने आश्चर्य से पूछा, “ये कैसे हुआ?”

सुमी मुस्कुरा कर बोली, “शायद मेरा गीत तुम्हारे अंदर की थकान को दूर कर देता है। तुम बस अकेले हो गए थे। किसी को भी अकेलापन कमजोर कर देता है।”

पेड़ ने पहली बार अपने अंदर खुशी की लहर महसूस की।

“सुमी, क्या तुम रोज मेरे पास आकर गाओगी?” पेड़ ने उम्मीद से पूछा।

सुमी ने पेड़ की शाखाओं को छूते हुए कहा, “और तुमने मुझे वो घर दिया जो मैं हमेशा चाहती थी।”

इस तरह दोनों हमेशा साथ रहे, एक-दूसरे को संभालते हुए, और घाटी को रोशनी और संगीत से भरते हुए।

शिक्षा: सच्ची दोस्ती से जीवन में फिर से चमक लौट आती है।

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