राजा का क्रोध और रामन की दंडाज्ञा
सैनिक ताताचार्य के स्थान पर रामन को राजा के समक्ष ले आए। सैनिकों को रामन की चालाकी का पता नहीं था। राजा रामन के अहंकार को सहन नहीं कर पाए। राजा बोले कि यह एक शैतान है। मैंने आदेश दिया था कि रामन की पिटाई करो और पुरोहित को ले आओ। यहां तो उल्टा हो गया।
सैनिकों ने उत्तर दिया कि हमने आपके आदेश के अनुसार ही कार्य किया है। जब हम उस स्थान पर पहुंचे तो हमने रामन को पुरोहित को कंधों पर लेकर चलते देखा इसलिए हम रामन को यहां ले आए। हमने उन्हें कोई हानि नहीं पहुंचाई। रामन एक दर्शक की तरह सुन रहे थे।
क्रोधित राजा बोले कि रामन ने एक पुरोहित का अपमान किया है जिसका समस्त नागरिक आदर करते हैं। इससे वास्तव में मेरा भी अपमान हुआ है। इस शैतान को ले जाओ, सेना प्रमुख को दिखाओ। राजा स्वयं को नियंत्रित नहीं कर पाए। रामन ने एक शब्द भी नहीं बोला। सैनिक रामन को बाहर ले गए।