शेर और चापलूस सियार
घने जंगल के बीच एक पुराना रास्ता था जो पेड़ों की छाया से भरा रहता था, उसी रास्ते के पास शेर दुरंग रहता था। दुरंग अपनी ताकत और तेज दहाड़ के लिए मशहूर था, लेकिन असल में वह बूढ़ा हो रहा था और उतना फुर्तीला नहीं रहा था। जंगल के कई जानवर उससे अब पहले जितना नहीं डरते थे, क्योंकि वे समझ चुके थे कि दुरंग अब उतना तेज नहीं रहा। इसी जंगल में एक चालाक और लालची सियार रहता था, जिसका नाम था खुग्गू। खुग्गू हमेशा अपने फायदे के बारे में सोचता था और किसी भी तरह अधिक भोजन पाने की कोशिश करता रहता था।
वह जानता था कि शेर दुरंग पहले जितना शक्तिशाली नहीं रहा, इसलिए उसने सोचा कि अगर वह उसकी चापलूसी करे, तो शेर के साथ मिलकर खूब दावतें उड़ाई जा सकती हैं। एक दिन चापलूस सियार खुग्गू शेर के पास पहुंचा और मीठी बातें करने लगा। उसने कहा कि दुरंग अभी भी जंगल का सबसे शानदार, सबसे ताकतवर और सबसे तेज शेर है। खुग्गू ने अपनी आवाज में मिठास भरकर कहा कि दुरंग की ताकत के आगे तो बड़े-बड़े बाघ भी कुछ नहीं। दुरंग ने यह सुना तो उसके मन में छिपी हुई पुरानी शान फिर जग गई।
वह इन बातों से खुश हो गया, जबकि खुग्गू की झूठी तारीफों को पहचान नहीं पाया। खुग्गू ने देखा कि शेर उसकी बातों पर भरोसा कर रहा है, तो उसने और आगे बढ़कर कहा कि पास के गाँव में बहुत सारे अच्छे और मोटे पालतू जानवर हैं जिन पर हमला करके वे दोनों कई दिनों तक मज़े ले सकते हैं। उसने कहा कि गाँव के लोग कमजोर हैं और उनमें हिम्मत नहीं कि शेर का सामना कर सकें। दुरंग सोचे बिना खुग्गू की बातों में आ गया। उसे लगा कि वह अब भी उतना ही मजबूत है और गाँव पर हमला करना उसके लिए आसान काम होगा। जंगल के बाकी जानवरों को खुग्गू की चालाकी और झूठे वादों का अंदाजा पहले से था, इसलिए वे डर गए कि कहीं शेर किसी मुसीबत में न फंस जाए।
लेकिन उनके पास शेर को समझाने का कोई तरीका नहीं था क्योंकि दुरंग अब खुग्गू की बातों में पूरा यकीन करने लगा था। अगले ही दिन खुग्गू सुबह-सुबह शेर के पास आया और बोला कि आज ही गाँव पर हमला कर देना चाहिए। उसने कहा कि अगर वे देर करेंगे तो गाँव वाले तैयार हो जाएंगे और मौका हाथ से निकल जाएगा। दुरंग ने बिना सोचे-समझे हामी भर दी। वे दोनों गाँव की ओर चल पड़े। रास्ते में खुग्गू बार-बार वही बातें दोहराता रहा कि शेर सबसे शक्तिशाली है और उसके आने मात्र से लोग कांपने लगेंगे। उसने कहा कि गाँव के खेतों में कई मोटे बकरी-बछड़े घूमते हैं, जिन्हें पकड़ना बहुत आसान होगा। जब वे गाँव के पास पहुंचे तो खुग्गू ने शेर को आगे बढ़ने को कहा जबकि वह खुद पीछे हटकर सुरक्षित जगह ढूंढने लगा। उसने सोचा कि अगर शेर जीत जाएगा तो वह दावत में शामिल होगा, और अगर शेर हार जाएगा तो वह चुपचाप भाग निकलेगा। जब दुरंग गाँव के अंदर पहुंचा तो गाँव वालों ने उसे तुरंत देख लिया।
शेर की हालत देखकर वे समझ गए कि वह बूढ़ा है और पहले जैसा तेज नहीं रहा। उन्होंने मिलकर जाल बिछाया, लाठी-डंडे उठाए और शेर को घेर लिया। दुरंग ने अपनी पूरी ताकत लगाकर दहाड़ मारी, लेकिन गाँव वाले नहीं डरे। उनमें से एक किसान ने लाठी से मारकर शेर को घायल कर दिया। कुछ और लोगों ने मिलकर उसे जाल में फंसा लिया। शेर पूरी तरह घायल हो गया और उसे एहसास हुआ कि उसने बहुत बड़ी गलती कर दी।
वह खुग्गू के झूठ पर भरोसा करके खतरे में फँस गया। उधर खुग्गू दूर से सब देख रहा था। वह जानता था कि अब शेर बचने वाला नहीं। डर के मारे वह तुरंत जंगल की तरफ भाग गया और दुरंग को अकेला छोड़ दिया। जैसे ही सूरज डूबने लगा, गाँव वालों ने शेर को काफी चोट पहुँचाकर जंगल की ओर भगा दिया ताकि वह दोबारा हमला न कर सके। घायल दुरंग धीरे-धीरे जंगल की ओर लौटा। वह मुश्किल से चल पा रहा था।
उसे सबसे ज्यादा दुख इस बात का था कि उसने एक चालाक चापलूस की बातों पर भरोसा किया। वह समझ गया कि खुग्गू की झूठी तारीफें केवल अपने फायदे के लिए थीं। शेर ने अपने मन में सोच लिया कि वह अब किसी चापलूस पर भरोसा नहीं करेगा और आगे से किसी भी सलाह पर आँख बंद करके विश्वास नहीं करेगा। दुरंग ने खुद को संभाला, अपने घावों को मिट्टी से ढककर आराम किया और आगे से समझदारी से काम लेने का निश्चय किया। इस घटना के बाद जंगल के जानवर भी समझ गए कि चापलूसी कभी सच नहीं होती, उसमें हमेशा कोई स्वार्थ छिपा होता है। उन्होंने जाना कि सच्चे दोस्त वही होते हैं जो कठिन समय में साथ खड़े रहें, न कि वे जो सिर्फ मीठी बातें कर लाभ लेने की कोशिश करें। खुग्गू भी कुछ दिनों बाद जंगल में लौटा लेकिन कोई जानवर उसे अपने पास नहीं आने देता था।
सभी उसके स्वभाव से वाकिफ हो चुके थे। वह फिर अकेला पड़ गया क्योंकि उसके झूठ और चापलूसी ने उसकी ही छवि खराब कर दी थी। समय बीतता गया लेकिन दुरंग उस घटना को कभी नहीं भूला। उसने अपने शेष जीवन में किसी की झूठी बातों में न आने का प्रण लिया। उसने जाना कि सच्ची मजबूती किसी की बातों में बह जाने में नहीं, बल्कि समझदारी से फैसले लेने में होती है।
इसी सीख के साथ उसने जंगल में शांत जीवन बिताया और बाकी जानवर भी उससे प्रेरणा लेते रहे कि किसी का भी भरोसा सिर्फ इसलिए न किया जाए क्योंकि वह मीठी बातें करता है। शेर की यह घटना जंगल में लंबे समय तक चर्चा में रही और हर माँ अपने बच्चों को यही समझाती कि चापलूस की सलाह पर चलना हमेशा खतरे की ओर ले जाता है।
शिक्षा: चापलूस पर भरोसा करना विनाश का कारण बनता है।