बंदर-और-मगरमच्छ-की-चालाकी-–-The-Monkey-and-the-Crocodile

बंदर और मगरमच्छ की चालाकी – The Monkey and the Crocodile

जानवरों की कहानियाँ

बंदर और मगरमच्छ की चालाकी 

गहरे और शांत बहते नदी के किनारे एक पुराना जामुन का पेड़ था। उसकी डालियाँ दूर तक फैली थीं और हर मौसम में उस पर रसीले, गहरे रंग के जामुन खूब लगते थे। पेड़ के ऊपर रहता था एक चुस्त बंदर। उसे पेड़, नदी और आसपास का पूरा इलाका अच्छी तरह पता था। हर दिन वह सुबह-सुबह उठकर ताजे जामुन खाता और फिर डालियों पर खेलता। उसकी जीवनशैली आरामदायक थी और उस जामुन के पेड़ ने उसे कभी भूखा नहीं रहने दिया।

एक दिन दोपहर को नदी का पानी नरम लहरों के साथ बह रहा था। उसी समय नदी में रहने वाला एक मगरमच्छ पास आकर पेड़ के नीचे ठहर गया। मगरमच्छ भूखा था और कई दिनों से उसे कोई खास खाना नहीं मिला था। वह काफी थका हुआ लग रहा था। बंदर ने उसे देखा और सोचा कि शायद उसे मदद की जरूरत है। वह पेड़ से नीचे झुकते हुए बोला कि तुम बहुत थके हुए लग रहे हो, अगर चाहो तो मैं तुम्हें कुछ जामुन दे सकता हूँ। मगरमच्छ ने ऊपर देखा, मुस्कुराया और कहा कि वह कुछ स्वाद की तलाश में था लेकिन जामुन भी चलेगा। बंदर ने उनसे कुछ जामुन तोड़े और डाल से नीचे गिरा दिए। मगरमच्छ ने उन्हें खाया और उसे जामुन इतने पसंद आए कि वह हर दिन वहीँ आने लगा।

धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हो गई। कभी बंदर जामुन ऊपर से गिरा देता, कभी मगरमच्छ नदी के किनारे बैठकर उससे बातें करता। यह देखने में अजीब दोस्ती थी, लेकिन चलती रही। मगरमच्छ घर जाकर अपनी पत्नी से भी यह बात बताता कि आज उसने फिर बंदर के दिए जामुन खाए। मगरमच्छ की पत्नी को यह बात सुनकर जलन होने लगी। वह सोचने लगी कि एक साधारण जामुन किसी को इतना खुश कैसे कर सकता है। उसने मगरमच्छ से पूछा कि क्या बंदर बहुत स्वादिष्ट दिखता है, क्योंकि उसके जामुन इतने मीठे लगते हैं कि शायद उसका दिल तो और भी मीठा होगा।

यह सुनकर मगरमच्छ पहले तो हक्का रह गया। वह अपनी दोस्ती को लेकर उलझ गया लेकिन उसकी पत्नी बार-बार उसे उकसाने लगी और बोली कि अगर तुम सच में मुझसे प्यार करते हो, तो तुम बंदर का दिल लाकर दो। मगरमच्छ पत्नी की बातों में आ गया। उसने सोचा कि किसी तरह बंदर को नदी में बुला लाऊँ और फिर उसे डुबो दूँ। अगले दिन वह पेड़ के पास आया लेकिन इस बार उसके चेहरे पर दोस्त जैसी खुशी नहीं थी। बंदर ने पूछा कि वह उदास क्यों है। मगरमच्छ ने जवाब दिया कि उसकी पत्नी ने उसे खाने पर बुलाया है और वह चाहता है कि बंदर भी उसके साथ चलकर अच्छा खाना खाए।

बंदर यह सुनकर पहले तो थोड़ा डरा क्योंकि उसने कभी तैरकर नदी पार नहीं की थी। मगरमच्छ ने कहा कि उसे चिंता करने की जरूरत नहीं है, वह अपनी पीठ पर बैठाकर उसे नदी के पार ले जाएगा। बंदर ने पहले मना किया लेकिन फिर सोचा कि शायद सच में वहाँ कुछ अच्छा होगा। वह मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया और मगरमच्छ धीरे-धीरे तैरते हुए नदी के बीच तक पहुँच गया।

जब वे आधे रास्ते पर थे, तब मगरमच्छ ने कहा कि उसे एक बात बतानी है। उसने कहा कि उसकी पत्नी ने उससे बंदर का दिल लाने को कहा है क्योंकि उसे लगता है कि वह बेहद मीठा होगा। यह सुनते ही बंदर का दिल घबरा गया लेकिन उसने जल्दी ही खुद को संभाला। उसने सोचा कि अगर उसने घबराहट दिखाई तो उसकी जान जा सकती है। वह शांत आवाज में बोला कि तुमने पहले क्यों नहीं बताया। मेरा दिल तो मैं पेड़ पर ही भूल आया हूँ। अगर तुम मुझे वापस ले चलो तो मैं दिल उतारकर तुम्हें दे दूँगा।

मगरमच्छ उसकी बातों पर यकीन कर बैठा। उसे लगा कि बंदर सच कह रहा है। उसने तुरंत दिशा बदली और वापस पेड़ की ओर तैरने लगा। जैसे ही वे पेड़ के पास पहुँचे, बंदर एक छलाँग में ऊपर कूद गया और सुरक्षित डाल पर पहुँचकर हाँफने लगा। वह ऊपर से मगरमच्छ की ओर देख रहा था। मगरमच्छ ने कहा कि जल्दी दिल लाओ ताकि मैं पत्नी के लिए ले जाऊँ।

बंदर ने गुस्से और दुःख से भरी आवाज में कहा कि तुमने मेरी दोस्ती का गलत फायदा उठाया। कौन अपना दिल कहीं छोड़कर जाता है। तुम मुझे खाने की सोच रहे थे, लेकिन मैंने अपनी चतुराई से बच निकलने का रास्ता खोज लिया। अब मैं तुम्हारे साथ कभी नीचे बात नहीं करूँगा। तुमने भरोसा तोड़ा और दोस्ती की कीमत नहीं समझी।

मगरमच्छ को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। वह शर्मिंदा होकर धीरे-धीरे पानी में डूबता चला गया। उसकी भूख भी शांत नहीं हुई और उसकी पत्नी की चाह भी पूरी नहीं हुई। लेकिन उसकी हरकत की वजह से उसने एक सच्चा दोस्त हमेशा के लिए खो दिया।

बंदर ऊपर सुरक्षित बैठा था और उसने मन में समझ लिया कि दुनिया में दोस्ती करने से पहले सोच-विचार करना जरूरी है। हर मुस्कुराता चेहरा भरोसे के लायक नहीं होता। लेकिन उसने यह भी जाना कि मुसीबत आने पर बुद्धि सबसे बड़ी ताकत होती है। उसने अपने दिमाग का इस्तेमाल करके खुद को बचाया, वरना कहानी का अंत कुछ और होता।

उस दिन के बाद से बंदर नदी के पास जाने से बचता रहा। वह पेड़ पर ही शांत जीवन जीने लगा और जामुन खाकर अपनी भूख मिटाता रहा। मगरमच्छ कभी-कभी पेड़ के नीचे से गुज़रता, लेकिन बंदर उससे कोई बात नहीं करता। उनकी दोस्ती टूट चुकी थी। मगरमच्छ को यह बात हमेशा खटकती रही कि काश उसने अपनी पत्नी की बात में आकर इतना गलत फैसला न किया होता।

कहानी का यही सच था कि बंदर ने बिना किसी ताकत के सिर्फ दिमाग के सहारे अपनी जान बचाई और मगरमच्छ ने चालाकी करने की कोशिश में भरोसा खो दिया।

शिक्षा: बुद्धि बल से बड़ी होती है।

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