उल्लू-और-सुबह-का-पंछी-_-The-Owl-and-the-Morning-Bird

उल्लू और सुबह का पंछी | The Owl and the Morning Bird

जानवरों की कहानियाँ

उल्लू और सुबह का पंछी 

घना जंगल था जहाँ सुबह की हल्की धूप पेड़ों के पत्तों पर गिरकर एक अलग ही चमक पैदा करती थी। जंगल के सभी पक्षी सुबह-सुबह जागकर उड़ान भरते थे और अपनी मीठी आवाजों से पूरे माहौल को ताज़ा कर देते थे। लेकिन उसी जंगल के एक पुराने पेड़ की खोखी में एक उल्लू रहता था जो हर सुबह परेशान होकर उठता था। उसकी आंखें तेज थीं लेकिन दिन की रोशनी उसे चुभती थी और वह कुछ भी साफ नहीं देख पाता था। उसकी दिनचर्या पूरी तरह रात पर आधारित थी लेकिन उसे यह बात खुद पसंद नहीं थी। वह सोचता था कि बाकी पक्षी जैसे दिन में मज़े से उड़ते हैं, वैसे वह क्यों नहीं कर पाता।

हर सुबह जब सूरज उगता, तो उल्लू अपनी खोखी से बाहर झांकने की कोशिश करता और आंखें मिचमिचाते हुए इधर-उधर देखता। उसे सब कुछ धुंधला नजर आता। उड़ते हुए पक्षी, दूर के पेड़, जमीन पर दौड़ते जीव सब धुंधले दिखते थे। इस वजह से उसे हमेशा गुस्सा आता था और वह दूसरों को ही दोष देता था। “ये सब मेरी गलती नहीं है। ये सुबह का समय ही खराब है,” वह बड़बड़ाता। कई बार वह सुबह का पंछी, जो हर दिन सबसे पहले उठता था, उससे उलझ जाता। वह छोटा, फुर्तीला और हमेशा खुश रहता था। उसकी आवाज मीठी थी और वह पूरे जंगल में सुबह के आने की खबर देता था।

एक दिन जब सुबह का पंछी चहक रहा था, उल्लू चिढ़कर बोला, “तू हर रोज इतनी जल्दी क्यों जाग जाता है। तेरी आवाज से मेरी नींद खराब होती है और ऊपर से मैं कुछ देख भी नहीं पाता। सब मेरी जिंदगी मुश्किल कर रहे हैं।” सुबह के पंछी ने शांत रहकर कहा, “मैं तो सिर्फ अपनी आदत निभा रहा हूँ। शायद तुम्हें रात ज्यादा पसंद आती होगी। दिन में तो तुम परेशान ही लगते हो।” उल्लू को यह बात बुरी लगी और उसने गुस्से में कहा, “ये दिन का समय ही बेकार है। सब साफ दिखता है, बस मुझे नहीं। बाकी सब पक्षी आराम से उड़ते हैं। मुझे ही क्यों मुश्किल होती है।”

सुबह का पंछी मुस्कुराया। “शायद इसलिए कि दिन सबके लिए अच्छा है, पर तुम्हारे लिए रात बेहतर हो सकती है। हर जीव की अपनी ताकत होती है। तुम रात में ज्यादा अच्छा देखते हो ना?” उल्लू को यह सुनकर बुरा लगा। उसे लगा जैसे सुबह का पंछी उसकी कमज़ोरी पर बात कर रहा है। उसने तुरंत कहा, “मुझे कोई कमज़ोरी नहीं है। बस ये दुनिया ही मेरी तरह नहीं बनी है।”

दिन बीतते गए और हर दिन वही हाल। उल्लू दिन में परेशान होता और रात में जागना उसे ठीक लगता लेकिन वह अपनी क्षमता को कमजोरी ही समझता था। एक शाम जंगल में कुछ अजीब हुआ। तेज हवा चली, पेड़ों की डालियाँ हिलने लगीं और देर रात कुछ जंगली जानवरों की आवाजें सुनाई देने लगीं। बाकी पक्षी अपने घरों में छिप गए थे लेकिन रात के समय जंगल की गतिविधि बढ़ने लगी थी।

उसी समय एक छोटा बच्चा पंछी अपने घोंसले से गिर गया था। अंधेरा होने की वजह से दिन वाले पक्षी कहीं भी बाहर नहीं जा पा रहे थे। किसी को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। बच्चा पंछी डर के मारे चिल्ला रहा था लेकिन कोई उसकी मदद नहीं कर पा रहा था। तभी उल्लू ने आवाज सुनी। उसने अपनी आंखें खोलीं और देखा कि पेड़ के नीचे हल्की हलचल है। उसने अपनी तेज रात वाली नजरों से देखा कि एक छोटा पंछी जमीन पर फँसा हुआ है और आसपास एक लोमड़ी मंडरा रही है।

उल्लू ने सोचा कि अगर वह मदद नहीं करेगा तो बच्चा पंछी खतरे में पड़ जाएगा। उसने अपने बड़े पंख फैलाए और तेजी से नीचे उतरा। लोमड़ी पहले तो चौंकी, फिर घबरा गई और भाग गई। उल्लू ने बच्चा पंछी को अपनी मजबूत चोंच से सावधानी से उठाया और वापस ऊँची डाल पर उसके घोंसले में रख दिया। बच्चा सुरक्षित था। उसके माता-पिता ऊपर से सब देख रहे थे, पर अंधेरा होने के कारण कुछ कर नहीं पा रहे थे। उन्होंने शुक्रिया कहा और बोले, “रात में तुमसे बेहतर कोई नहीं देख सकता। तुमने आज बहुत बड़ा काम किया।”

अगली सुबह पूरा जंगल इस बात से खुश था कि बच्चा पंछी सुरक्षित है। जंगल के कई पक्षी उल्लू के पास आए और उसकी रात की ताकत की तारीफ की। सुबह का पंछी भी आया और बोला, “देखा, हर किसी की अपनी खास क्षमता होती है। दिन मेरे लिए अच्छा है और रात तुम्हारे लिए। तुमने अपनी खासियत पहचान ली और वही तुम्हें दूसरों से अलग बनाती है।”

उल्लू पहली बार शांत था। उसे एहसास हुआ कि वह हमेशा रोशनी को दोष देता रहा, जबकि उसकी असली ताकत रात के अंधेरे में थी। उसने महसूस किया कि दूसरों की तरह बनने की कोशिश करना बेकार है, क्योंकि हर जीव की अपनी अलग योग्यता होती है। “मेरी पहचान रात में है,” उसने सोचा। “मैं उसी में बेहतर हूँ और वही मेरी शक्ति है।”

उस दिन के बाद उल्लू ने कभी दिन की शिकायत नहीं की। उसने स्वीकार किया कि उसकी आँखें रात में सबसे तेज हैं और वही उसकी असली खूबी है। वह रात में जंगल की मदद करता, खोए हुए जीवों को रास्ता दिखाता और किसी भी खतरे की आवाज पहले सुन लेता। सुबह का पंछी और उल्लू दोस्त बन गए। दोनों ने समझा कि सुबह और रात दोनों जरूरी हैं और दोनों की दुनिया अलग है लेकिन दोनों की जिम्मेदारी भी खास है।

जंगल के सभी पक्षी उल्लू से सीखने लगे कि खुद को समझना सबसे जरूरी है। किसी और की नकल करना या अपनी विशेषता को कम समझना गलत है। उल्लू ने अपने जीवन में पहली बार महसूस किया कि अपनी खूबियों को पहचानना ही सही रास्ता है। धीरे-धीरे वह जंगल में एक सम्मानित जीव बन गया और कभी किसी को दोष नहीं दिया।

शिक्षा: अपनी खूबियों को पहचानो और उन्हें अपनाओ क्योंकि हर जीव की ताकत अलग होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *