कबूतर और अनाज का जाल
घने पेड़ों से भरे एक शांत इलाके में कबूतरों का एक बड़ा झुंड रहता था। वे हर सुबह मिलकर उड़ान भरते, आसमान में गोल-गोल चक्कर लगाते और फिर किसी खेत या बगीचे में उतरकर अपना भोजन तलाशते। उनके झुंड में सबसे बड़ी बात यह थी कि वे हमेशा एक साथ चलते थे। चाहे बारिश हो या तेज धूप, कबूतरों का यह समूह आपस में मिलकर हर चुनौती का सामना करता था। उनमें से सबसे समझदार एक सफेद कबूतर था, जो हमेशा झुंड को सही दिशा दिखाता और हर बार किसी भी मुसीबत से पहले सावधान कर देता।
एक दिन सुबह सूरज की रोशनी पेड़ों से छनकर नीचे आ रही थी। हवा में हल्की ठंडक और मिट्टी की खुशबू थी। कबूतरों ने अपनी रोज की तरह उड़ान भरी और पास के एक गाँव की ओर बढ़ने लगे। उड़ते-उड़ते वे एक खुली जगह पर आए, जहाँ जमीन पर चमकता हुआ दाना बिखरा हुआ था। सोने जैसा चमकता वह दाना कबूतरों के लिए किसी दावत से कम नहीं लग रहा था। उन्हें भूख भी लगी थी, और यह दाना देखकर सभी के मन में खुशी दौड़ गई।
लेकिन झुंड का सफेद कबूतर थोड़ा सतर्क था। उसने ऊपर से चारों ओर देखा। उसे शक हुआ क्योंकि दाना बहुत साफ-सुथरी लाइन में बिखरा हुआ था। उसने अक्सर अपने बुजुर्ग कबूतरों से सुना था कि इतना व्यवस्थित दाना कभी अपने आप नहीं गिरता। इसके पीछे कुछ ना कुछ चाल जरूर होती है। वह नीचे उतरने से पहले बाकी कबूतरों को चेतावनी देना चाहता था, लेकिन भूखे कबूतर पहले ही नीचे उतर चुके थे।
जैसे ही वे दाना चुगने लगे, उन्हें लगा कि आज की सुबह बहुत अच्छी है। दाना भी ताजा था और उनका पेट भी भर रहा था। पर अचानक उन्हें किसी हल्की सी आवाज़ का अहसास हुआ, जैसे कुछ ऊपर से गिर रहा हो। इससे पहले कि कोई समझ पाता, पूरे दाने वाली जगह पर एक बड़ा जाल गिर गया। जाल इतना तेज और भारी था कि कबूतरों को बाहर निकलने का मौका भी नहीं मिला।
कबूतर घबराकर उछलने लगे। सबने अपनी पूरी ताकत लगाई, लेकिन जाल मजबूत था। कुछ कबूतरों की पंखों में फँसे धागे दर्द दे रहे थे। पूरे झुंड में डर फैल गया। जो कबूतर सबसे ज्यादा शांत थे, वे भी अब चिंतित थे। हर पक्षी अपने को छुड़ाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उनके पंख उस जाल में उलझते ही जा रहे थे।
उसी समय झाड़ियों के पीछे से एक आदमी निकला। यह वही शिकारी था जिसने दाना बिखेरा था और छिपकर बैठा था। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “आज तो बड़ी आसानी से खाना मिल गया। इतने सारे कबूतर एक ही बार में।” यह सुनते ही कबूतरों का डर और बढ़ गया। वे जानते थे कि अगर वे आज निकल नहीं पाए, तो उनकी जान खतरे में पड़ जाएगी।
इसी घबराहट में सफेद कबूतर ने धीमी आवाज में कहा, “डरो मत। एकजुटता हमेशा हमें बचाती है। अगर हम सब मिलकर कोशिश करें, तो जाल को उठा सकते हैं। अकेले कोशिश करने से कुछ नहीं होगा।”
बाकी कबूतर उसकी बात सुनकर रुक गए। वह बोला, “अगर हम अपने पंख एक साथ फड़फड़ाएँ, तो हम जाल को हवा में उठा सकते हैं। सब तैयार हो जाओ। मेरे संकेत पर हम सब एक ही समय पर उड़ने की कोशिश करेंगे।”
सभी कबूतरों ने सिर हिलाया और थोड़ी हिम्मत जुटाई। उनकी साँसें तेज थीं, लेकिन मन में उम्मीद की एक किरण जागी थी। सफेद कबूतर ने कहा, “तीन की गिनती पर सब एक साथ जोर लगाना। एक, दो, तीन…”
सभी कबूतरों ने पूरी ताकत से पंख फड़फड़ाए। जाल थोड़ी ऊँचाई तक उठा, लेकिन फिर वापस नीचे गिर गया। शिकारी यह देखकर हँसने लगा। उसने सोचा कि ये कबूतर कभी नहीं निकल पाएँगे।
लेकिन सफेद कबूतर रुका नहीं। उसने कहा, “हम एक बार फिर कोशिश करेंगे, इस बार और ज्यादा ताकत से। हमारे पास ज्यादा समय नहीं है।”
दूसरी बार गिनती हुई। सभी कबूतरों ने मिलकर जोर लगाया। जाल फिर उठा और इस बार पहले से थोड़ी ज्यादा ऊँचाई तक गया। शिकारी को समझ नहीं आया कि यह क्या हो रहा है। वह हड़बड़ाकर जाल की ओर बढ़ने लगा।
सफेद कबूतर ने तुरंत कहा, “तीसरी कोशिश हमारी सबसे बड़ी कोशिश होगी। इस बार पीछे मत हटना। हम आज बच सकते हैं।”
शिक्षा: कठिन समय में मिलकर काम करो, तभी बड़ी से बड़ी समस्या आसान हो जाती है।