परियों का गुप्त बाग़
मीरा एक शांत और समझदार लड़की थी। वह हमेशा रात में आसमान को देखकर सोचा करती थी कि कहीं न कहीं कोई जादुई जगह जरूर होगी जहाँ परियां रहती होंगी। उसके घर के पीछे एक पुराना जंगल था, जिसे लोग साधारण जंगल मानते थे, लेकिन मीरा को हमेशा लगता था कि वहाँ कुछ अलग है। वह रोज रात में खिड़की से उस जंगल को देखती और सोचती कि काश उसे कभी कोई ऐसा चमत्कार दिख जाए जो दुनिया से छुपा हो।
एक रात मीरा मुश्किल से सो पाई। उसका मन बेचैन था। खिड़की के बाहर से हल्की नीली रोशनी झिलमिला रही थी। उसने बाहर झांका तो देखा कि जंगल के बीचोंबीच एक चमकता हुआ दरवाज़ा दिखाई दे रहा है। यह दरवाजा ऐसा था जैसा उसने कभी नहीं देखा था। नीली रोशनी हवा में तैरती हुई उसके आसपास फैल रही थी।
मीरा का दिल जोर से धड़क रहा था, लेकिन उसका जिज्ञासु मन उसे रोक नहीं पाया। वह धीरे से घर से बाहर निकली और जंगल की ओर चल पड़ी। पेड़ों की पत्तियाँ रात की हवा में हिल रही थीं, जैसे वे उससे कह रही हों कि वह सही रास्ते पर है।
जब वह उस चमकते दरवाज़े के पास पहुँची, तो अचानक दरवाज़ा खुद ही खुल गया। अंदर से हल्की खुशबू आ रही थी, इतनी प्यारी कि मीरा ने पहले कभी महसूस नहीं की थी।
वह जैसे ही अंदर गई, सामने एक ऐसी दुनिया थी जिसे देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गई। वहाँ रंग-बिरंगे फूल थे, जो रात में भी चमक रहे थे। छोटी-छोटी परियां हवा में उड़ रही थीं। कुछ फूलों पर बैठी थीं, कुछ पत्तियों से पानी की बूंदें पी रही थीं, और कुछ एक-दूसरे से हंसते हुए बातें कर रही थीं।
यह था परियों का गुप्त बाग़।
जैसे ही मीरा अंदर पहुँची, एक सुनहरी रोशनी उसकी तरफ आई। यह छोटी सी परी थी, जिसका नाम लिना था। उसने मुस्कुराकर कहा, “हम तुम्हारा इंतजार कर रहे थे, मीरा।”
मीरा चौंककर बोली, “मेरा इंतजार? लेकिन तुम्हें मेरे बारे में कैसे पता?”
लिना ने कहा, “जो बच्चे दयालु होते हैं, उनके दिल से एक खास रोशनी निकलती है, और वह रोशनी हमें दिखाई देती है। इसलिए हमें पता था कि तुम यहाँ आओगी।”
मीरा ने चारों तरफ देखा। बाग़ सच में बहुत सुंदर था, लेकिन उसने महसूस किया कि कुछ फूल मुरझाए हुए हैं। कुछ जगहों पर खुशबू भी कम लग रही थी। उसने पूछा, “यहाँ कुछ ठीक नहीं है क्या?”
लिना की मुस्कान हल्की सी फीकी पड़ गई।
उसने कहा, “हाँ, यही वजह है कि हमें तुम्हारी जरूरत है। हमारे बाग़ की जादुई खुशबू खत्म हो रही है।”
मीरा ने हैरानी से कहा, “लेकिन खुशबू कैसे खत्म हो सकती है?”
लिना ने कहा, “हमारे बाग़ की खुशबू सिर्फ फूलों से नहीं बनती। यह तब बनती है जब इंसान और परियां मिलकर अच्छे काम करते हैं। दयालुता इस बाग़ की असली शक्ति है। लेकिन पिछले कई सालों से इंसानों के दिलों में अच्छाई कम हो रही है, इसलिए खुशबू भी कम हो गई है।”
मीरा ने बाग़ को ध्यान से देखा। जिन फूलों में पहले चमक थी, वे अब हल्के हो गए थे। जिन पगडंडियों पर पहले खुशबू फैलती थी, वे अब धुंधली थीं।
“लेकिन मैं क्या कर सकती हूँ?” मीरा ने पूछा।
लिना ने कहा, “बस वही जो तुम हमेशा करती हो। अच्छे काम। लेकिन इस बार जानबूझकर और दिल से। तुम्हारे एक-एक काम से हमारा बाग़ फिर से चमकेगा।”
मीरा ने सोचा कि यह आसान होगा। लेकिन असल में यह मुश्किल था।
लिना ने कहा, “हाँ, यही इस बाग़ का राज़ है। अगर तुम दुनिया में अच्छे काम करती रहोगी, तो हमारा बाग़ हमेशा जिंदा रहेगा।”
मीरा ने बाग़ को आखिरी बार देखा। परियां उड़ रही थीं, फूल चमक रहे थे और हवा में मिठास थी।
जब वह वापस लौटी, तो उसे महसूस हुआ कि सच्ची जादू वही है जो दुनिया को बेहतर बनाता है।
शिक्षा: दयालुता हर जगह जादू फैलाती है।