जंगल-का-नींद-वाला-पेड़-The-Sleepy-Tree-of-the-Forest

जंगल का नींद वाला पेड़ – The Sleepy Tree of the Forest

परी कथाएँ

जंगल का नींद वाला पेड़

घने और शांत जंगल के बीचोंबीच एक छोटा सा खरगोश रहता था जिसका नाम टुनटुन था। टुनटुन बाकी खरगोशों से थोड़ा अलग था। उसके कान लंबे थे, पर उससे भी लंबी उसकी जिज्ञासा थी। वह हर दिन कुछ नया ढूंढने निकल पड़ता था। एक सुबह वह पेड़ों के पीछे छुपकर कोई अजीब सी खुशबू महसूस करने लगा। यह खुशबू न फूलों की थी न घास की, पर उसमें एक ऐसी नरमी थी कि टुनटुन की पलकें धीरे-धीरे भारी होने लगीं। उसने सोचा कि यह खुशबू आखिर कहाँ से आ रही है। वह उछलता-कूदता उस खुशबू के पीछे चला गया और कुछ ही देर में उसे जंगल का एक बिलकुल अनोखा पेड़ दिखाई दिया।

पेड़ की शाखाएँ किसी गहरे हरे रंग से चमक रही थीं, और उसकी पत्तियाँ हल्की नीली रोशनी छोड़ रही थीं। एक हवा का झोंका आया और पत्तियाँ कांपीं, तो उनके काँपते ही नींद की महक पूरे वातावरण में फैल गई। टुनटुन को लगा कि जैसे कोई उसे थपकी देकर सुलाना चाहता हो। वह पेड़ के नीचे बैठा और एक पत्ती उठाकर सूंघी। उसके सूंघते ही उसे इतनी मुलायम नींद महसूस हुई कि वह तुरंत वहीं लेट गया और गहरी नींद में सो गया। काफी देर बाद जब वह जागा, तो उसने महसूस किया कि उसकी थकान बिल्कुल गायब हो चुकी थी। उसे समझ आ गया कि यह पेड़ साधारण पेड़ नहीं, बल्कि जंगल का नींद वाला पेड़ है।

टुनटुन बहुत खुश हुआ और उसने तय किया कि वह यह बात अपने दोस्तों को भी बताएगा। शाम होते ही वह सारे जंगल में दौड़ता फिरा और हर जानवर को नींद वाले पेड़ के बारे में बताने लगा। पहले तो जानवरों को यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब टुनटुन उन्हें पेड़ तक ले गया और उन्होंने पत्तियों की खुशबू महसूस की, तो सभी जानवर बहुत खुश हो गए। पक्षी, हिरण, बंदर, गिलहरियाँ—सब उस पेड़ को देखने आने लगे। धीरे-धीरे यह पेड़ पूरे जंगल की खास जगह बन गया।

पर कुछ ही दिनों में एक समस्या खड़ी हो गई। हर जानवर चाहता था कि उसे ज्यादा से ज्यादा नींद वाली पत्तियाँ मिलें। कोई पाँच पत्तियाँ ले रहा था, कोई दस, और कुछ जानवर रात में भी छुपकर पत्तियाँ तोड़ लेते थे। टुनटुन यह देखता रहा, लेकिन शुरू में उसने सोचा कि शायद इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मगर एक हफ्ते बाद उसने देखा कि पेड़ की चमक फीकी पड़ने लगी है। पत्तियाँ हल्की पीली होने लगीं और उनमें पहले वाली खुशबू नहीं थी।

टुनटुन हर दिन पेड़ के पास बैठकर उसका धन्यवाद करता। पेड़ अब पहले से ज्यादा सुंदर दिखने लगा था। हवा में फिर वही नींद वाली खुशबू फैलने लगी, लेकिन अब जानवर उससे सावधान रहते। उन्हें पता था कि यह पेड़ कोई साधारण पेड़ नहीं, बल्कि जंगल की शांति का रक्षक है।

एक शाम जब सूरज ढल रहा था, पेड़ की पत्तियाँ हल्की चमकने लगीं और उनमें से एक नई कली निकली जो पहले से भी ज्यादा चमकीली थी। वह कली टुनटुन के पास गिरकर धीरे-धीरे खुली। अंदर एक चमकदार बूंद थी। टुनटुन ने उसे छूकर देखा। वह ठंडी, मुलायम और बेहद शांत करने वाली थी। पेड़ जैसे उससे कहना चाहता हो, “तुमने मुझे बचाया है, और मैं हमेशा तुम्हारा आभारी रहूँगा।”

टुनटुन ने उस बूंद को संभालकर अपने घर में रखा और जब भी उसे थकान महसूस होती, वह बस पेड़ के नीचे बैठ जाता। उसे पता था कि पेड़ उसे हमेशा शांत रखेगा। जंगल के जानवरों ने टुनटुन की इज्जत करना सीख लिया था। वे समझ गए थे कि किसी भी चीज़ का अधिक उपयोग नुकसान करता है और प्रकृति की चीज़ों को संभालकर रखना ही सबसे बड़ी समझदारी है।

पेड़ फिर से हरा-भरा हुआ और जंगल पहले जैसा ही शांत और खुश। टुनटुन अपने छोटे से घर में बैठा मुस्कुराता था। उसने अपने छोटे से दिमाग से एक बड़ा काम कर दिया था—पूरे जंगल को एक नया नियम दिया था, जिसने उनकी दुनिया बचा ली थी।

शिक्षा: प्रकृति की हर चीज़ की सीमा होती है, उसे संभालकर उपयोग करना ही समझदारी है।

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