जंगल का सच्चा रखवाला
जंगलपुर नाम की एक हरी–भरी भूमि थी जहाँ तरह–तरह के जानवर रहते थे। वहाँ एक बड़ा सा तालाब था, ऊँचे पेड़ों से भरी घाटियाँ थीं और चारों तरफ सुख, शांति और हँसी दिखाई देती थी। इस जंगल की एक खास बात थी कि यहाँ के सभी जानवर आपस में गहरी मित्रता, सम्मान, और सहयोग से रहते थे। लेकिन इस शांत जंगल की कहानी कई ऐसे मोड़ों से गुजरती है जिसने हर जीव को सिखाया कि असली ताकत एकता और समझदारी में होती है।
जंगलपुर में एक छोटा मगर समझदार भालू रहता था जिसका नाम था बल्ली। बाकी भालुओं की तरह वह बहुत ताकतवर नहीं था, लेकिन उसकी समझ, धैर्य, और सूझबूझ की वजह से सब जानवर उसकी बातों को गंभीरता से सुनते थे। बल्ली का सबसे प्रिय दोस्त एक रंग–बिरंगा तोता था जिसका नाम टकटकी था। टकटकी हवा में ऊँचा उड़ता, सबको खबरें देता और मुश्किल वक्त में मदद पहुँचाता था।
एक दिन बल्ली और टकटकी नदी किनारे बैठे खिलखिला रहे थे। वे बांस की छड़ी से पानी में लहरें बना रहे थे और कल के खेल की योजना पर बात कर रहे थे। तभी अचानक दूर से शोर सुनाई दिया। हिरन, बंदर, खरगोश और लोमड़ियाँ भागती हुई आ रही थीं। उनके चेहरों पर डर साफ झलक रहा था।
बल्ली तुरंत उठकर बोला, “क्या हुआ? सब इतने घबराए हुए क्यों हो?”
एक बूढ़ा हिरन, जिसका नाम था शांतूराम, हांफते हुए बोला, “जंगल के उत्तरी हिस्से में एक भूखा जंगली भेड़िया आ गया है। वह रास्ते में कई जानवरों को डराकर भगा चुका है। लगता है कि वह जंगलपुर में कहीं भी आ सकता है।”
टकटकी फड़ककर बोला, “अगर वह आगे बढ़ता रहा तो बच्चों वाले इलाके तक पहुँच जाएगा।”
बल्ली ने सिर उठाकर गहरी साँस ली, “घबराओ मत। पहले हमें यह समझना होगा कि वह यहाँ आया क्यों है। कोई भी जानवर बिना कारण अपना घर छोड़कर नहीं आता।”
उसी समय जंगल के सबसे बुद्धिमान जानवर, बाबा कछुआ, धीरे–धीरे वहाँ पहुँचे। उनकी उम्र बहुत ज्यादा थी और उन्हें जंगल के हर कोने की जानकारी थी। उन्होंने कहा, “भेड़िया पहाड़ों के उस पार से आया है। वहाँ कई दिनों से भूखमरी चल रही है। बारिश नहीं हुई, पानी नहीं बचा। उसके पास दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा था।”
बल्ली ने तुरंत कहा, “मुझे लगता है कि हमें इस समस्या का शांतिपूर्ण हल निकालना चाहिए। अगर हम उसे खाने और पानी का रास्ता दिखाएँ तो शायद वह किसी को नुकसान न पहुँचाए।”
सब जानवर एक–दूसरे की तरफ देखने लगे। यह बात नई थी, लेकिन गलत नहीं थी। छोटा खरगोश बोला, “पर इतनी बड़ी समस्या से एक छोटा भालू कैसे निपटेगा?”
बल्ली मुस्कुराया, “ताकत शरीर में नहीं, दिमाग में होती है।”
टकटकी ने जोर से कहा, “मैं भी चलूँगा। हम दोनों मिलकर उसे समझाएँगे।”
सभी जानवरों को डर तो था, लेकिन बल्ली की समझदारी ने उन्हें भरोसा दिया। कुछ देर बाद बल्ली और टकटकी उत्तर जंगल की तरफ निकल पड़े।
जैसे–जैसे वे आगे बढ़ते गए, हवा भारी होती गई। पेड़ कम होने लगे और जमीन कड़ी और बंजर महसूस होने लगी। सूखी टहनियों पर उनके कदमों की आवाज गूंज रही थी।
अचानक एक टूटे पेड़ के पास उन्हें एक घायल लोमड़ी मिली। उसके पैर में गहरा घाव था।
बल्ली बोला, “इसे ऐसे नहीं छोड़ सकते।”
टकटकी ने चारों तरफ उड़कर पत्ते और मदार के पौधे की छाल इकट्ठी की। बल्ली ने अपने पंजों से धीरे–धीरे पट्टी बाँधी। लोमड़ी ने दर्द से आँखें बंद कीं लेकिन शांत रही।
उसने धीरे से कहा, “तुम दोनों मेरे लिए देवदूत हो। सावधान रहना। आगे जो भेड़िया है वह बहुत गुस्से में है। भूख ने उसकी समझ छीन ली है।”
बल्ली ने लोमड़ी को सुरक्षित जगह तक पहुँचाया और फिर दोनों आगे बढ़ गए।
कुछ दूर चलने के बाद टकटकी फुसफुसाई, “बल्ली, क्या हम सच में उससे बात कर पाएँगे?”
बल्ली बोला, “अगर हम डरकर भागेंगे तो जंगलपुर कभी सुरक्षित नहीं होगा। कोशिश करना ही सच्ची हिम्मत है।”
तभी अचानक घास में हरकत हुई। भारी कदमों की आवाज आई। और अगले ही पल एक विशाल, भूखा और कटा–फटा भेड़िया सामने आ खड़ा हुआ।
उसकी आँखों में भूख की चमक थी और आवाज भारी थी, “कौन है जो मेरी सीमा में घुस आया?”
टकटकी डरकर बल्ली के पीछे छिप गया, लेकिन बल्ली आगे बढ़ा और बोला, “हम तुम्हारे दुश्मन नहीं हैं। हम बात करने आए हैं।”
भेड़िया हैरान हुआ, “एक छोटा सा भालू मुझसे बात करेगा?”
बल्ली बोला, “हाँ। क्योंकि समस्या लड़ाई से नहीं, समझदारी से हल होती है। हमने सुना है कि तुम्हें खाना और पानी नहीं मिल रहा।”
भेड़िया भारी साँस लेते हुए बोला, “हाँ। कई दिनों से कुछ नहीं मिला। पहाड़ों ने मुझे धोखा दिया। मैं केवल जिंदा रहने की कोशिश कर रहा हूँ।”
बल्ली ने कहा, “हम जानते हैं। और अगर तुम चाहो तो हम तुम्हें एक ऐसी जगह ले जा सकते हैं जहाँ पानी भी है और खाना भी। तुम किसी को नुकसान न पहुँचाओगे तो हम सब तुम्हारे दोस्त बन सकते हैं।”
भेड़िया चुप हो गया। यह पहली बार था कि किसी ने उससे डरकर भागने के बजाय समझदारी से बात की थी।
कुछ शांत पलों के बाद वह बोला, “अगर तुम सच कह रहे हो तो मैं किसी को नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा।”
बल्ली ने कहा, “चलो, तुम्हें दिखाते हैं।”
टकटकी आगे उड़ने लगा, और बल्ली भेड़िये को रास्ता दिखाने लगा।
काफी देर की यात्रा के बाद वे एक सूखे लेकिन पुराने रास्ते पर पहुँचे। यह रास्ता जंगलपुर के तालाब की तरफ जाने वाला एक छिपा हुआ जलमार्ग था। कई सालों से यह बंद था क्योंकि पत्थर और मिट्टी जमा हो गई थी।
टकटकी बोला, “अगर हम यह रास्ता खोल दें तो पानी फिर यहाँ तक आ सकता है।”
भेड़िया तुरंत बड़े–बड़े पत्थर हटाने लगा। बल्ली और टकटकी छोटे–छोटे पत्थर और मिट्टी निकालने लगे। कई घंटे मेहनत के बाद पानी की एक पतली धारा बहने लगी। धीरे–धीरे यह धारा तेज हुई और भेड़िया खुशी से उछल पड़ा।
उसने पहली बार पेट भर पानी पिया और बोला, “तुम दोनों ने मेरी जान बचाई।”
बल्ली बोला, “अब तुम चाहो तो जंगलपुर के पास रह सकते हो, लेकिन किसी को नुकसान नहीं पहुँचाना।”
भेड़िया ने वादा किया, “मैं तुम्हारा दोस्त बनकर रहूँगा।”
तभी अचानक तेज हवाएँ चलने लगीं। आकाश में काले बादल उमड़ आए। पहाड़ के ऊपर की जमीन खिसक रही थी। इसका मतलब था कि भारी भूस्खलन आने वाला है।
टकटकी चिल्लाया, “अगर यह ढलान टूटा तो पानी का रास्ता बंद हो जाएगा और पूरा जंगल संकट में पड़ जाएगा!”
भेड़िया तुरंत बोला, “हमें इसे रोकना होगा।”
तीनों ने मिलकर ढलान को थामने की कोशिश की। भेड़िये ने बड़े पत्थर रोके, बल्ली ने मिट्टी को जमने में मदद की, और टकटकी ने बाँस के पौधों की लंबी लताएँ लाकर उन्हें बाँधा।
काफी देर की मेहनत के बाद ढलान स्थिर हो गया।
सब थके हुए थे लेकिन जानते थे कि उन्होंने जंगलपुर को एक बड़े खतरे से बचा लिया है।
जब वे जंगलपुर लौटे तो जानवर खुशी से झूम उठे। सबने बल्ली, टकटकी और भेड़िये का स्वागत किया। हाथी प्रमुख ने ऊँची आवाज में कहा, “आज से बल्ली इस जंगल का सच्चा रखवाला है और भेड़िया हमारा नया साथी।”
भेड़िया विनम्रता से बोला, “मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं किसी जंगल का हिस्सा बन सकता हूँ। लेकिन तुम सबने मुझे अपनाया। मैं तुम्हारा आभारी हूँ।”
टकटकी बोला, “जंगल की असली ताकत एकता, मदद, और दयालुता है।”
बल्ली ने मुस्कुराकर कहा, “अगर हम डर और संदेह छोड़ दें तो हर समस्या का हल निकल सकता है।”
धीरे–धीरे जंगलपुर पूरी तरह सुरक्षित हो गया। भेड़िया अब बच्चों की रक्षा करता, खेती की जमीन की निगरानी करता और हर त्योहार में शामिल होता।
कहानी ने हर जानवर को यह सिखाया कि सभी जीव एक–दूसरे की मदद से ही खुशहाल रह सकते हैं। और कभी–कभी छोटे से दिल में इतनी बड़ी ताकत होती है कि वह पूरा जंगल बचा लेता है।