भेड़िया और वफादार कुत्ता
एक बड़ा सा गाँव था, जहाँ चारों तरफ हरियाली फैलती थी और दूर तक गेहूँ के खेत चमकते थे। गाँव के लोग मेहनती थे और रात को खेतों की रखवाली करना सबसे कठिन कामों में गिना जाता था। कई बार जंगली जानवर खेत में घुसने की कोशिश करते, इसलिए गाँव वाले एक मजबूत और समझदार कुत्ते पर भरोसा करते थे। वह कुत्ता गाँव का सबसे वफादार और निष्ठावान साथी माना जाता था। उसका रंग भूरा था, आँखें तेज, और चाल आत्मविश्वास भरी। वह दिन में आराम करता और रात होते ही पूरे गाँव की सुरक्षा में जुट जाता।
कुत्ता गाँव के हर व्यक्ति को पहचानता था और हर पगडंडी की खुशबू तक जानता था। वह खेतों के चारों तरफ घूमता, हर आवाज पर ध्यान देता और किसी भी खतरे को देखते ही भौंककर सबको सतर्क कर देता। उसकी वजह से कई बार फसलें बच चुकी थीं और गाँव वाले दिल से उसका सम्मान करते थे। कुत्ता भी इस भरोसे को अपना कर्तव्य मानता था और उसे निभाने में कभी लापरवाही नहीं करता था।
एक रात चाँद पूरा था और खेतों में हल्की ठंडी हवा बह रही थी। कुत्ता अपनी रोज की तरह चौकन्ना होकर खेतों के बीच घूम रहा था। तभी दूर बत्तीसी जैसी चमकीली आँखें झाड़ियों से झलकने लगीं। कुत्ते ने तुरंत पहचान लिया कि यह किसी जंगली जानवर की नजर है। उसने भौंकने की बजाय धीरे से उस दिशा में चलकर दूरी कम करने की कोशिश की ताकि वह देख सके कि कौन छिपा हुआ है। जब वह करीब पहुँचा, तो उसे पता चला कि वहाँ एक बड़ा भेड़िया खड़ा था। भेड़िया मजबूत, तेज और चालाक था, लेकिन उसकी आँखों में एक अलग चमक थी। वह कुत्ते को देखकर मुस्कुराया जैसे पहले से उसकी प्रतीक्षा कर रहा हो।
कुत्ता सतर्क होकर खड़ा रहा और बोला, “तू यहाँ क्यों आया है? गाँव के पास आना सुरक्षित नहीं है।” भेड़िया हँसते हुए बोला, “डर मत, मैं आज लड़ने नहीं आया हूँ। मैं तो एक बात करने आया हूँ, वह भी तुम्हारे फायदे की।” कुत्ते ने गहरी साँस ली और अपनी आँखें टेढ़ी करके उसे घूरते हुए कहा, “मेरे फायदे की? तू कभी किसी का भला नहीं करता। साफ-साफ बता, क्या चाहता है?”
भेड़िया कुत्ते के करीब आया, लेकिन फिर सुरक्षित दूरी पर रुककर बोला, “मैं तुम्हारी रात-रात भर खेतों में घूमने की हालत देखकर सोच रहा था। तुम गाँव के लिए इतना कुछ करते हो, फिर भी तुम्हें क्या मिलता है? थोड़ी सी रोटी, थोड़ा पानी और एक छोटा सा कोना। इतने बड़े गाँव में सबसे ज्यादा मेहनत तुम करते हो, लेकिन असली फायदा कोई और उठाता है। मैंने सोचा, क्यों न मैं तुम्हें कुछ अच्छा सुझाव दूँ।”
कुत्ते को भेड़िए की बातों पर भरोसा नहीं था, लेकिन वह उसकी चाल समझना चाहता था। उसने कहा, “सुझाव? तुम जैसा खतरनाक भेड़िया मुझे सुझाव देगा? बताओ, क्या योजना है तुम्हारी?” भेड़िया पेड़ के पास जाकर बैठ गया और धीमी आवाज में बोला, “अगर तुम मुझे गाँव का रास्ता दे दो, तो मैं तुम्हें इतनी धन-संपत्ति दिला दूँ कि तुम्हें जिंदगी भर काम नहीं करना पड़ेगा। मैं कुछ भेड़ों को और थोड़ी फसल उठा लूँगा, और हिस्सा मैं तुम्हें दूँगा। तुम्हें बस एक रात के लिए अपनी आँखें बंद करनी होंगी। सोच लो, इतना फायदा तुम्हें कभी नहीं मिलेगा।”
कुत्ते ने भेड़िए की बात सुनी, लेकिन उसका चेहरा कठोर ही रहा। वह बोला, “और बदले में गाँव का नुकसान होगा? लोग और जानवर डरेंगे? उनके खेत उजड़ेंगे? क्या तुम्हें लगता है कि मैं अपने कर्तव्य को बेच दूँगा?” भेड़िया हँसा और बोला, “कर्तव्य से पेट नहीं भरता। सोचो, कितनी आसान जिंदगी हो जाएगी तुम्हारी। बस मुझे रास्ता मत रोकना।”
कुत्ते ने गाँव की तरफ देखा, जहाँ छतों पर रखी मिट्टी की दीयों की हल्की रोशनी चमक रही थी। उसे उन बच्चों की याद आई जो उसके साथ खेलते थे, उन बूढ़े किसानों की याद आई जो उस पर भरोसा करके चैन से सोते थे। उसे वे सारी रातें याद आईं जब उसने खतरा टालकर गाँव को सुरक्षित रखा। कुत्ते ने शांत लेकिन मजबूत आवाज में कहा, “मुझे लालच देने की कोशिश मत करो। तुम भले कुछ भी कह लो, लेकिन कर्तव्य मेरे लिए सबसे बड़ा है। मैं कभी अपने गाँव को खतरे में नहीं डालूँगा।”
भेड़िया चौंक गया। उसने सोचा था कि कुत्ता उसकी बातों में आ जाएगा, क्योंकि उसने कई जानवरों को ऐसे ही फँसा लिया था। उसने फिर कोशिश की और बोला, “सोच लो, मैं अकेला नहीं हूँ। अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मैं और मेरे साथी गाँव पर हमला कर देंगे। तुम अकेले क्या कर पाओगे?” कुत्ते ने भेड़िए की आँखों में सीधे देखते हुए कहा, “अगर हमला किया तो पहले मेरे सामने से होकर जाना पड़ेगा। मैं अकेला हूँ लेकिन डरता नहीं हूँ। कर्तव्य निभाने वाले कभी अकेले नहीं होते।”
भेड़िया कुछ देर चुप रहा। कुत्ते की आँखों में इतनी दृढ़ता थी कि वह समझ गया कि आज उसकी चाल काम नहीं करेगी। वह कुत्ते को ताकता रहा और फिर गुर्राते हुए बोला, “ठीक है, आज तो बच गए। लेकिन याद रखना, मैं कब भी वापस आ सकता हूँ।” इसके बाद वह जंगल की ओर भाग गया और घने झाड़ियों में गायब हो गया।
सुबह होते ही किसान खेतों की ओर आए और कुत्ता पहले की तरह उनके स्वागत में खड़ा था। एक किसान ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरकर कहा, “हमारा सच्चा रक्षक रात भर जागता है ताकि हम सब सुरक्षित रहें।” कुत्ते को यह सुनकर गर्व महसूस हुआ। वह जानता था कि उसने सही फैसला लिया है। कोई भी लालच उसे उसके कर्तव्य से नहीं हटा सकता था।
दिन बीतते गए, लेकिन कुत्ते की निष्ठा कभी नहीं बदली। भेड़िया कई बार दूर से उसे देखता, लेकिन गाँव के आसपास आने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। कुत्ते की बहादुरी, सच्चाई और अपने काम के प्रति समर्पण ने भेड़िए की हर चाल को नाकाम कर दिया।
शिक्षा: कर्तव्य से बड़ा कोई समर्पण नहीं।