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समय की परी – Time Fairy

परी कथाएँ

समय की परी

एक शांत दोपहर थी। स्कूल से लौटकर शिवम अपनी मेज पर टिके हुए घड़ी की टिक-टिक देख रहा था। उसे लगता था कि समय कभी तेजी से दौड़ता है, कभी बहुत धीरे सरकता है। रविवार को खेलते समय समय पंख लगाकर उड़ जाता था, लेकिन जैसे ही सोमवार आता, वही समय उसे ठहर-ठहरकर गुजरता दिखता। पढ़ाई करते हुए उसे अक्सर लगता कि समय उसके खिलाफ है। वह सोचता, काश कोई ऐसा जादू हो जो समय को मनमुताबिक तेज़ या धीमा कर दे। उसी सोच में खोया था कि अचानक कमरे की हवा ठंडी होने लगी। पलक झपकते ही उसके सामने हल्के नीले कपड़ों और चमकदार घड़ी जैसी छड़ी लिए एक छोटी परी प्रकट हुई। उसकी मुस्कान कोमल थी और कदमों के साथ हल्की घंटियों की आवाज़ आ रही थी।

परी ने कहा, “मैं समय की परी हूँ। तुम समय को लेकर परेशान रहते हो, इसलिए तुम्हारे पास आई हूँ।” शिवम डरने की बजाय उत्सुक हो गया। उसने पूछा कि क्या वह सच में समय को नियंत्रित कर सकती है। परी ने मुस्कुराकर सिर हिलाया और अपनी चमकदार छड़ी घुमाई। अचानक कमरा धीमा हो गया, पंखे की आवाज़ फुसफुसाहट जैसी लगने लगी, धूल हवा में रुकी दिखाई देने लगी, जैसे सब कुछ थम गया हो। फिर उसने एक झटके में छड़ी घुमाई और कमरे की आवाजें तेजी से लौट आईं, घड़ी की सुइयाँ घूमकर फिर अपनी जगह आ गईं। शिवम की आँखें चमक उठीं।

परी ने कहा कि वह शिवम को समय की शक्ति महसूस करवा सकती है, लेकिन सिर्फ देखने के लिए, चलाने के लिए नहीं। शिवम ने तुरंत कहा कि वह पढ़ाई का समय तेज करना चाहता है और खेलने का समय धीमा। परी ने हँसते हुए पूछा, “अगर सब कुछ सिर्फ तुम्हारी पसंद के अनुसार चले तो क्या तुम सीख पाओगे कि समय हर काम के लिए अलग मायने रखता है?” शिवम चुप हो गया, लेकिन उसकी जिज्ञासा अभी खत्म नहीं हुई थी।

परी ने हाथ बढ़ाकर कहा, “चलो, मैं तुम्हें समय की एक यात्रा पर ले चलती हूँ।” पलक झपकते ही शिवम खुद को एक उज्ज्वल जगह में खड़ा पाया जहाँ धरती नहीं थी, बस तैरते हुए गोल घेरे थे, जो अलग-अलग उम्र, पल और अनुभव जैसे लग रहे थे। परी ने समझाया कि हर घेरा किसी इंसान के समय का टुकड़ा है। एक घेरा हँसी से भरा था, दूसरा गलती से, तीसरा सीखों से और चौथा खाली सा दिख रहा था। शिवम ने पूछा कि यह खाली वाला क्यों है। परी ने कहा, “यह उन लोगों का समय है जो बिना उद्देश्य या मेहनत के निकाल देते हैं। देखते हो, इसमें कोई रंग नहीं है।

फिर परी उसे एक और घेरे के पास ले गई जहाँ एक बच्ची सलीके से पढ़ाई कर रही थी और फिर उसी लगन से खेल भी रही थी। उस घेरे की चमक बाकी से ज्यादा थी। परी बोली, “यह समय का संतुलित इस्तेमाल है। ऐसे पल सबसे मजबूत यादें बनाते हैं।” शिवम ध्यान से देखता रहा।

शिवम थोड़ा उदास होकर बोला, “अगर मुझे पता होता कि मेरा खोया समय भी इन खाली घेरे जैसा बन जाएगा, तो मैं उसे बर्बाद नहीं करता।” परी ने धीरे से उसका कंधा छूकर कहा, “समय का एक खास गुण है। यह आगे बढ़ता रहता है, लेकिन हर नया पल तुम्हें मौका देता है कि तुम

अब शिवम समझ चुका था कि समय को अपनी मनचाही रफ्तार में बदलने से जीवन आसान नहीं, उलझा हुआ हो जाएगा। उसने परी से कहा कि वह अपने समय को खुद संभालना चाहता है, बिना किसी जादू की मदद के। परी खुश होकर बोली, “यही समझ सबसे बड़ी सीख है। समय तुम्हारी जेब में रखा सिक्का नहीं है जिसे तुम मन से खर्च करो। यह बहती हुई धारा की तरह है, जिसका सही दिशा में इस्तेमाल करना सीखना पड़ता है।”

एक रात शिवम ने आसमान की ओर देखा। बादलों के बीच चमकते एक तारे को देखते हुए उसे महसूस हुआ कि शायद परी फिर कभी आए या न आए, लेकिन उसकी सीख हमेशा साथ रहेगी। शिवम मुस्कुराया और बोला, “मैं अपने समय का सही इस्तेमाल करूँगा। यह मेरा वादा है।”

शिक्षा: समय की कद्र करने वाला इंसान ही जीवन की असली कीमत समझ पाता है।

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